वो आई बहुत करीब आई जैसे लगा कि साथ लेजाने आई अंधेरा ,सन्नाटा उसके आगोस में ऐसा ही था न करुणा न दया बड़ा ही कठोर उसका हृदय था। वो आँखों मे झाँक के बोली और मेरे ही अल्फ़ाज़ में बोली मैं सांसे थामे सुन रहा था उसको रहमत की नजरों से देख रहा था उसको अब वो देखती देखती कुछ न बोली ओह!क्या थी सपने कीअजीब पहेली। आँख खुली राहत की सांस आयी ऐसा लग की मौत थी जो लेने आई। वो आई बहुत करीब आई।
वो परियो की कहानियों से ना एक पारी मेरे ख़्वाबों में आती है, मेरे देखे हर सपने को वो ना हकीकत में सजती है, सब बात मानवती है न मानु तो रूठ जाती है बड़ी नाजुक सी है वो मेरे हर दर्द पे आंसू वो बहती है वो परियो की कहानियों से ना एक पारी मेरे ख्वाबों में आती है।
बेरंग सी हो गयी है ये ज़िन्दगी हर तरफ अंधेरे साये से लिपटी जिंदगी शायद यही लिखा है लकीरों में अरे! कोई तो रंग भरो इस जिंदगी में। गमो का अंबार सा है अकेलेपन का मार सा है क्या ऐसा ही चलता रहेगा मेरे सफ़र में अरे! कोई तो रंग भरो इस जिंदगी में।