surya pandey   (एक और नादान)
1 Followers 0 Following

Joined 7 November 2024


Joined 7 November 2024
29 JUN AT 12:51

दुनिया है तहलके में तो परवाह न कीजिए ।
यह दिल है रूह के अशर का मसकन, बचाइए ।।
दिल बुझ गया तो जानिए अंधेर हो गया ।
इक समा आंधियों में है रौशन, बचाइए ।।

- by unknown

-


27 JUN AT 8:10

तेरे नाम के अक्षर बिना, ये नाम अधूरा है ।
तुझमें है सिया सा कुछ, तभी कोई राम अधूरा है ।
तुझसे फिर मिलूंगा मै, अभी कुछ काम अधूरा है ।
मुझको दे सजाए-इश्क़, अभी अंजाम अधूरा है ।
मै खुद को सौंप दूं तुझको, अभी ये दाम अधूरा है ।
इसको अनसुना करना, अभी ये कलाम अधूरा है ।

-


27 JUN AT 7:39

तू सलीके से तोड मुझे,
मुझे एक आकार दे ।
इस पत्थर को तराशा कर ,
किसी मूरत मे उतार दे ।।

-


27 JUN AT 7:30

आज फिर झुका है सर तेरे दर पे ।
फिर इसे मै आस्था का नाम दूंगा ।।
आज फिर पढूंगा तेरी आयतें ।
दो फूल चढ़ा के फिर कुछ मांग लूंगा ।।

-


19 JUN AT 12:31

बसा के खुद में सब करकट , तमन्ना जान लेता हूं |
कि दाता नाम दे तुझको, मै कुछ भी माँग लेता हूं ||

-


22 MAY AT 6:49

शीतलहर की सर्द हवा चेहरे को छूकर जाती है l
ये कल-कल करती निर्मल धारा जैसे कोई राग सुनाती है ll
तू यहीं कही है पता मुझे, धड़कन एहसास कराती है l
पर छुपना क्यों ये बता मुझे , जाने किस्से शर्माती है ll
इससे पहले तेरी झलक मिले, तू झट से फिर छिप जाती है l
तुझे ढूंढना बस काम मेरा , और रात भी काफी बाकी है ll
तेरे याद की छोटी लहर भी हो , अम्बर तक पहुंच बनाती है l
उसपर हल्की धुंधली बदरी तेरी तस्वीर बनाती है ।।

-


15 MAY AT 7:01

इतनी शक्ति हमे देना दाता,
जितने का हमको आभास हो ना।
दूर अज्ञान के हो अंधेर,
ज्ञान की भी कोइ प्यास हो ना ।
हम चले नेक रस्ते पे लेकिन,
चलने का कोई आभास हो ना ।

-


4 MAY AT 22:07

तेल भी तू , बाती भी तू ,धर्म भी तू, जाती भी तू ।
तू ज्योती का है उजियारा , बिन ज्योति तू ही अंधियारा ।।
ज्ञान भी तू, अज्ञान भी तू , इनसे वंचित स्थान भी तू ।
युक्त भी तू , उपयुक्त भी तू , इन सब के अतरिक्त भी तू ।।
मान भी तू , अपमान भी तू , मेरे भीतर अभिमान भी तू ।
सब सुख संपन्न स्वभाव भी तू , हर दीन-दुखी इंसान भी तू ।।
मंदिर भी तू , शमशान भी तू , अनहत आनंदित ध्यान भी तू ।
हर सपना तू , हर अपना तू , रिपु का भीतर की जान भी तू ।।
मेरे अंदर का काम भी तू , हर काम परे, वो राम भी तू ।
उस अंतर की बंजर धरती पे , द्वेष बो रहा किसान भी तू ।
उस द्वेष से उपजी फसल का , होने वाला परिणाम भी तू ।।
मेरे भीतर अस्तित्व भी तू , मेरा सारा व्यक्तित्व भी तू ।
मै बुद्ध नही, मै शुद्ध नही , पर भीतर इक निर्वान भी तू ।।

-


4 MAY AT 21:25

मै कैसे जाग सकता हूं ,
ये नींदे तू ही लाता है ।
हकीकत मै क्या जानू ,
ये सपने तू दिखाता है ।।
मै कैसे तोड़ दूं नाते ,
ये अपने तू बनाता है ।
मै कैसे त्याग दूं रोजी ,
की मुझमें तू कमाता है ।
तू ही मंजिल , तू ही रस्ता ,
मुझे तू ही चलाता है ।।

-


4 MAY AT 21:11

मै जितना सो सका सोया ,
मै जितना खो सका खोया ।
किसे ढूंढू मै ही तुम हु ,
कई सदियों से मै गुम हु ।।

-


Fetching surya pandey Quotes