बन कर मुक्कदर मेरा खुदको
चमकने दो सितारों की तरह
तेरी किस्मत में मैं नही तो क्या
तुझे ही आपनी किस्मत बनाया है हमने-
खामोशियाँ इतनी भी न हो कि शब्द अपनी बनावट ही भूल जाएं
इस जुबां से नाम तेरा लेना यही तो सुकराना है परवरदिगार का-
वीरानियाँ बस जाती हैं आपके चले जाने से
हमें अपने साथ का गुलिस्तां फिर से अदा कर दो-
जाना ही नही है तो लौट के क्यूं आओगी
मुझे तो जरूरत ही ये है कि कब मुझे सताओगी
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ना बिछड़े अभी हैं ना कल बिछड़ेंगें
तेरे दामन की छाव में हमे रहना है
कभी न आये वो मुकद्दर दिल की राह पर
जो दर्द आपसे जुदाई का पड़े सहना है-
जब दिल भर आए
और यादें सताएं
कहीं किसी कोने से इस दिल के
ये आवाज आए
तो हमें याद करना
दिल ही दिल मे सही
मिलने की फरियाद करना
मिल जाना कहीं किसी मोड़ पर
फिर से ना बिछड़ने की किस्मत से गुहार करना-
आपको चाहा है इस कदर ए ज़िन्दगी
अब तो दिल का मकान खाली ही ना रहा
किसी ओर को बसाने का लिए
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दूरी का एहसास ना हो आपको कोशिशें हर बार करूँगा
जब भी दिल चाहे मुझे पुकार लेना तेरे रास्तों में खड़ा तैयार मिलूँगा-
साथ थे कभी इस जगह पर तुम
अब अकेले रह गए है हम
कभी आशीर्वाद था आपमें से किसी का
तो कभी प्यार था किसी साथी का
अब कैसे लगेगा यहाँ की हवाओं में मन-