दो धागों की डोर से
बांधा है उसने भाई की कलाई को।
उतार कर भाई की आरती,
उसने बनाया है भाई को एक अनोखा सार्थी।
और रक्षा का पाया है उसने वचन,
यही है तो है रक्षा का पवित्र बंधन।
बहन-भाई का एक-दूजे के लिए उमड़ा प्यार है,
यही तो अनोखा रक्षाबंधन का त्यौहार है।
आता ये वर्ष में एक बार है,
पर लाता ये साथ अपने खुशियाँ बेशुमार है।
लड़ते तो भाई-बहन बहुत हैं,
पर इस रिश्ते में हमने देखा न कभी कोई खोट है।
ये बंधन टूटे न कभी,
भाई-बहन का साथ छूटे न कभी।
ये दुनिया बदलती है, बदले सही,
कोई भाई-बहन एक-दूजे से रूठे न कभी, दुआ है यही।
इस रिश्ते में कोई कड़वाहट आने न पाए,
बदनीयती की आहटों को ये रिश्ता दूर भगा ले जाए।
किसी बहन की आबरू से कोई दरिंदा खेल पाए न कभी,
बस शर्त इतनी सी है, हर भाई रक्षा का बंधन दिल से निभाए तो सही।
दिल की गहराइयों से दूआ करता हूँ,
रक्षाबंधन पर मैं इस पवित्र रिश्ते का अभिनंदन करता हूँ।
~©️Âãķâşh✍(P.39/2020)
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