Suresh Nayak   (सुरेश नायक"ॐ")
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Joined 2 July 2019


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14 FEB 2022 AT 13:29

हृदय अदम्य वीरता,बाँह में अजेय बल।
हुँकार सुन काँपता, दहलता शत्रु दल।।
रुके नहीं झुके नहीं,विकट पंथ को चुना।
भू में शीश बो दिये, उमंग भर दोगुना।।
वीर है नमन तुम्हे,वीरता के तुम चरम।
रोम रोम गा रहा,जयहिंद वंदेमातरम।।

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12 FEB 2022 AT 14:01

तेरे सुंदर पग,उसमें पायल के नूपुर की सरगम।
जीवन का संगीत इन्हीं से,ये सरगम रहे हरदम।।

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11 FEB 2022 AT 14:49

मन घूमें चाहे जहाँ,मन झूमे यहां वहाँ
मन को इतना भी, पागल न बनाइये।
मन चाहे मनचाहा, आप हो क्या चरवाहा,
मन यदि माने नहीं ,तो लापड़ लगाइए।
मन करे मनमौज, सपनों को लिए फ़ौज।
सपने सजीले हों तो,साकार बनाइये।
मन से ना हारिये,मन से ही जीतिए।
मन को तो अपने,मन से ही नचाइये।।

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9 FEB 2022 AT 20:22

सर्वज्ञ बन पाओगे स्वयं को सुजान कर।
सफलता मिलती नहीं,टंगी वितान पर।।
अनुभव की शाला में पी एच डी मिलेगी,
उम्र और सारे ज़माने की खाक छानकर।।
-सुरेश नायक "ॐ"

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9 FEB 2022 AT 16:31

मेरी ऊर्जा को उमंग कहोगे।
मेरी आशा को पतंग कहोगे।
जो कहना है कहकर मानोगे।
मेरे मन को तुम मलंग कहोगे।।

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9 FEB 2022 AT 15:57

समय नहीं रहता ठहरा,ये तो बहती धारा है।
जो अविरल चलता उसने खुदको उबारा है।
सरिता सिंधु तक नही रुकती है।
पवन कहाँ एक वन में ठहरती है।
समय गति पर चलने वाली ।
हर ज़िन्दगी खूब संवरती है।।
नियमित जीने वाला ही समय को प्यारा है।
अगस्त पी गए थे सागर सारा।
रावण को उसके अहम ने मारा।
रंक बने राजा,कई राजा रंक हुये।
समय बदला तो ध्रुव हुए तारा।।
समय बदलता सूरत समय का रूप न्यारा है।।
- सुरेश नायक "ॐ"


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8 FEB 2022 AT 15:00

शिवशक्ति का प्रेम नित्य ललित ललाम है।
प्रकृति शिवशक्ति का मिलन परिणाम है।।
प्रेम,वैराग्य,सौंदर्य,तप,मिल पूर्णआँग हुए।
शुचिता,शुभता,सृजन अटल अविराम है।।

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7 FEB 2022 AT 14:19

माँ शारदे सी साकार सौम्यता।
मधुपर्क सी स्वर में है मधुरता।
हैं स्वर सम्राज्ञी कंठ कोकिला।
अमर सदा वंदनीय आप लता।।

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5 FEB 2022 AT 11:47

दे अमर वर माँ प्रखर कलम धार दे।
निज कृपा से उपकृत कर माँ शारदे।
अज्ञान हर माँ उर ज्ञान भर।
विज्ञान कर हमें संज्ञान भर।
तज कुटिलता, मानुष बनें।
सुजान होकर जावे निखर।
तू अपार माँ हम बालकों को तार दे।।
- सुरेश नायक "ॐ"

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28 JAN 2022 AT 20:31

हिमकिरीट सजा माथे पर,
केशर की क्यारी वाला है।
सुरभित संदल की सुगंध से,
कश्मीर में स्वर्ग निराला है।

राम,कृष्ण की धरा अनुपम।
यहाँ बहती भक्ति की हाला है।
संस्कृति में समृद्ध कौन हमसा,
मेरा भारत संस्कारों वाला है।।

जहाँ महादेव कालकूट पीते।
अमृत बनता विष प्याला है।।
लक्ष्मी और राणा की वीरता।
अरि हेतु शिवा का भाला है।।
अग्रणी देशों का ये अग्रज है।
भारत अनुपम गौरव वाला है।।
- सुरेश नायक "ॐ"

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