संसार
प्रेम से आगे बढ़ता है
इंसान
द्वेषपूर्ण होड़
मे
विजय चाहता है..!
- शिवा अज्ञेय-
हाल ए तन , बेबस मन किसको याद रखा गया
आदत बुरी भूलने की' शिवा' , भुला दिया भूलता गया.!-
गम है बेहया या हम से वास्ता आदिल
चौखट मेरी छोड़ कर गया नही ये कभी. !!-
अह्म रिपु अहम मीत इदम संसारे मम नकोअपि
भज कृष्णम्.भज गोविन्दम् संसारे यत सत्यं अस्ति
:- शिवा अज्ञेय ( Suresh daiya Ink )-
लड़कियों को पता होता है, किसी के साथ कब तक बहना है और फिर कब रुक जाना है। लड़को को तैरना नहीं आता वो बहुत जल्दी बह जाते है लड़कियाँ बहाव को भयावह बना कर चली जाती है और अधिकांश लड़के उस बहाव में डूब जाते है
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अंधेरे के पश्चात
क्या सुबह का उजियारा नही होता ?
मुरझाये गुल
क्या सावन में नही खिलते,
संभव है ये सब
फिर
तू इंसान है
तेरा खिलना तय है...!!
:- शिवा अज्ञेय ( suresh-daiya-ink)
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नाजाने कैसा पागल इंसान हु मैं
शराब भी पीता नही ग़मगीन भी रहता हूं..!!
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चाँद भी अधूरा रहा
प्रिये
हम भला कैसे पूरे हो जाते..?
संभव था
पूर्णिमा को पूर्ण होना
किन्तु
पूर्णिमा हमारी
तकदीर ना थी..!!
:- शिवा अज्ञेय-
'शिवा' हमने सहे जुल्म ए महोब्बत बहोत
आशियाने फिर भी ना हम सजा सके...!!-