Sukun ✍   (सुकून!)
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Joined 1 August 2018


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7 HOURS AGO

निगाहें बेजुबान हैं पर बोलती हैं
छुपे हुए दिल के राज खोलती हैं।
दूनियाँ देखने को उतावली बड़ी
बहुत कुछ देखा पर कुछ खोजती हैं।
समझदारी से पढकर हर सू हर राज
सँजो कर रखें भेद नहीं खोलती हैं।
बस राजदार कोई इनसे मिला दो
इल्जाम सारे अपने सिर ले कर डोलती हैं।

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17 APR AT 17:28

चराचर में विराजमान त्रिविक्रम
दशरथ राघव मर्यादा पुरुषोत्तम
त्रिलोकरक्षक अहिल्यापावन
सदा जपो श्री राम का नाम!

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17 APR AT 17:10

शोर छाया है चारों ओर ! स्वास्थय बिगडा जा रहा है।
खामोशी सोई है अंदर छुपकर ! कोई उसे नहीं चाहता है!
लोग तन्हाई से प्यार करते हैं! तन्हाई खामोशी की बहन है !
अधिकार जताती है, बडप्पन दिखाती है!
खामोशी से पहले तन्हाई चली आती है!
खामोशी मिली थी! कुछ दिन साथ भी रही!
दिल दिमाग ने साथ दिया, खामोशी का अहसास हुआ!
मैं अकेला, घर पे निठल्ला! वक़्त नहीं बीता, तन्हाई ने आ घेरा!
खयाल आया, खेत में गया! ट्यूबवेल चलाया, खूब नहाया!
आम के पेडों की छाया! खामोशी के साथ दिन बिताया!
अतीत देखा! वर्तमान से तुलना की, भविष्य के सपने बुने!
अच्छा लगा, फिर चला, शाम हुई! आहत मन को राहत मिली!
सुकून के पल जिया! दिल बहुत खुश हुआ!
दस दिन की छुट्टियाँ कटी! तन्हाई मिटी !
खामोशी से प्यार करना ! तन्हाई को दूर करना !
दोनों में बड़ा अंतर है ! बेशक, दोनों समानांतर हैं!

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16 APR AT 20:01

मुलाक़ात अभी बाक़ी है दिलों की
दूरियाँ भले ही मिट गई मीलों की।

खता किसी की नहीं इस सफ़र में
मंजिल भी मिलने को बेताब रही।

दिन भर भटकी रही चाँदनी चाँद से
रात में जब मिली तो बादलों में रही।

भरोसा दिल को कुछ होने भी लगा था
तेरा इन्तजार करके पलकें झपक गई।

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16 APR AT 18:56

सपने तो सपने होते हैं
शाम को ना लिया करो
रात के आगोश में जा कर
ख्वाबों में मोहब्बत किया करो!

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16 APR AT 18:45

सूरत को अपनी साए में लिजिये
ये शाम नूरानी हुई ढलने दिजीये
नज़र से हवाओं में ना घोल इत्र
दीदार-ए-शाम परदे में किजीये!

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15 APR AT 22:48

बेनाम सा रिश्ता
ज़माने से छुपाकर तेरा नाम लेना
कुछ नहीं फिर भी इल्जाम लेना।
नजर चुराते रहे तुझसे नजर बचा
खत लिखकर भी तुझे ना भेजना।
इश्क़ की महक से सरसार है दिल
ओ नाजनीं इश्क़ में आजार है दिल।
पूछता है जमाना ये बेनाम सा रिश्ता
बेनामी में भी वस्ल का प्यासा है दिल।
है हम तुम अपना बेजान सा रिश्ता
ज़माने से छुपाया बेनाम सा रिश्ता।
क्यों मेरे दिल में जज्बात उठ रहे हैं
तेरे दिल के अरमानों का मुझे पता।
ज़माने में ज़िक्र खुल के होने लगा
ज़माने में जुदा ये बेनाम सा रिश्ता।

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15 APR AT 20:30

ज़माने से छुपाकर तेरा नाम लेना
कुछ नहीं फिर भी इल्जाम लेना।
नजर चुराते रहे तुझसे नजर बचा
खत लिखकर भी तुझे ना भेजना।
है हम तुम अपना बेजान सा रिश्ता
ज़माने से छुपाया बेनाम सा रिश्ता।
क्यों मेरे दिल में जज्बात उठ रहे हैं
तेरे दिल के अरमानों का मुझे पता।
ज़माने में ज़िक्र खुल के होने लगा
ज़माने में जुदा ये बेनाम सा रिश्ता।

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15 APR AT 19:56

महकार तेरी हवाओं में घुली
ज़िंदगी कदम मिलाकर चली


फ़ासले मिट गए खुद-ब-खुद
मुड़ के देखा तू रु-ब-रु मिली!

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15 APR AT 18:39

गमों से लबालब ज़िंदगी में
तन्हाई से मिलें वक़्त कहाँ है

सुकून आ गया तेरी वफा में
हमकदम बनने का वादा किया!

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