यदि आप स्वयं प्रसन्न हैं तो,आपकी जिंदगी उत्तम है.यदि आप की वजह से लोग प्रसन्न
हैं तो ज़िन्दगी सर्वोत्तम है.प्रेम को तो बचा
रखा है नदियों ने,पर्वतों ने,पेड़-पौधे और झाड़ियों ने..मनुष्य ने तो केवल और केवल
प्रेम करने का स्वांग ही रचा है....S K RAI.
है प्रेम जगत का सार....
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