Is baar aana ek jindagi lekar
Umr bhar ki shikayate jo krni h tumse-
वो देखो आसमां में टूटता तारा जा रहा है....
बस इतना कहते ही अपनी आंखें बंद करके उस टूटते तारे से वो ख्वाब पूरा करने की अपील करना ।
कितना अजीब हैं न !
एक तो वो टूटा हुआ, अपनों से बिछड़ा हुआ ,
ना जाने कितनी अनजान ठोकरें खाते हुए अपना किस्सा पूरा कर देता है और उसमें भी उसे हमदर्दी न जता कर लोगों की ख्वाहिशों के बोझ तले दबा दिया जाता है ।
शायद इसलिए ही किसी की ख्वाहिश सुनते ही वो टूटने के बाद मर सा जाता है ।
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आशा
क्या हुआ जो हार गया तू
कल फिर से जीतेगा इस दौड़ में
रख हौसला अपने दम पर तू
तू ही लहराएगा परचम इस हौड़ में
कहने दे लोगों को जो कहना है
तूने तो बस अपने लक्ष्य को पाना है
देख तेरी हार में नभ भी अश्रुपूर्ण हो पड़ा
देख तेरी हार में समुद्र भी है सुख पड़ा
चल अब नई शुरुवात कर
एक नवीन आगाज कर
फूलों की सुरभीत की तरह
महका दे परचम विजय का
है विश्वास तुम पर मुझे यह
कल फिर से जीतेगा इस दौड़ में तू
महिधर खड़ा होगा स्वाभिमान से तेरी जीत में सीना तान के
पारावार मनाएगा जश्न अपनी लहरों से तेरी विजय में
प्रकृति होगी आनंदमय फिर से
लहराएगा विजय परचम फिर से-
देश मेरे
मां तुम्हारे आंचल में पले है ये भक्त तेरे
कभी कोई आंच न आने दी तूने देश मेरे,
रही व्याकुल नैन देखने को सैनिक पुत्र मेरे
बेटा कहे मां आऊंगा मैं कर दूं पहले सुरक्षित देश मेरे,
कहता है ये जहां सारा सुन देश मेरे
हाजिर है ये जान भी तेरे लिए ओ देश मेरे,
मंजूर है तेरी मिट्टी में मिल जाना
मंजूर है तिरंगे के खातिर मर मिट जाना ,
नही आने देंगे कभी आंच होते हुए भक्तो के तेरे
हो सबसे प्यारे तुम हमें ओ देश मेरे ।-
अंजनिपुत्र है पुकार हमारी
ले चलो तुम जिस तरफ वहीं है मंजिल हमारी,
अश्रुओं को पोंछ थामे हो तुम्हीं हमें
फेर कर सिर पर हाथ दी मुस्कान हमें,
तुम पर अर्पण है ये मन
तुम पर समर्पण है ये तन ,
रवि भक्ष लियो जब फल जान
है वो बजरंग बली हनुमान ,
बसते है तुम्हारे मन में सीता राम
मुख पर रहे सदा तुम्हारे सीता राम !
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सज गए है सरकार सावन में
पुष्पों की सुरभि बता रही हैं ,
की है हर कामना पूर्ण महाकाल ने
भक्तों का प्रसन्नचित बता रहा है,
मिलती है शांति जिनके दरबार में
महादेव है ये सबको बता रहे हैं,
देखा जो उदास इन्होंने भक्त को
देखो महाकाल दुःख हरने आ रहे हैं,
हो समय की चाल , हो सबकी ढाल
सफ़र को समझाने के लिए वो आ रहे हैं,
तुम में बसते है प्राण ये मेरे
तुम में विलीन है प्राण ये मेरे,
देखो मेरे महादेव आ रहे है
मेरे महादेव आ रहे है।
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तुम हंसते हो तो मैं हंसती हूं
आखिर तुममें मैं भी बसती हूं।
-Surbhi Soni
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#अलविदा
कैसे तुम मुझे अलविदा कह गए,
मैं तो तुम्हारी जान हुआ करती थी।
कैसे तुम्हे मुझसे इतनी नफरत हो गई,
मैं तो तुम्हारा इश्क़ हुआ करती थी।
तुम भला मेरी बातों से कब से रूठने लगे,
तुम तो मेरे मनाने पर मान जाया करते थे।
हम औरों की तरह कभी दूर ना होंगे,
ये वादें तुम भी तो किया करते थे।
टूट सी गई हूं तुम्हारे अलविदा होने पर,
तुम तो मेरे रोने से भी खुद रो दिया करते थे।
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अक्सर वो पुछते हैं हमसे
अक्सर वो पुछते है हमसे,
तुम जो ये सब लिखती हों...
किसके लिए लिखती हों
सुनो,
ये “ वाक्य "
ये “ शब्द "
और
ये “ अक्षर "
इन सब में सिर्फ तुम्हारा ही जिक्र होता हैं,
हां इन सब में,
सिर्फ और सिर्फ तुम ही बसे हुए हों।💞-