प्रथम हिमालय पुत्री, प्रेम भक्ती की ध्वजवाहक, माता श्री शैलपुत्री।
द्वितीय शिवभक्त तपस्विनी त्याग की देवी ,माता बह्मचारिणी।
अर्ध चंद्र का तिलक विराजे ,शान्तिदायक और कल्याणकारी तृतीय माता चंद्रघंटा।
पूर्ण ब्रहमाण्ड की जननी, जिनकी भक्ति से हो आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि ,चतुर्थ माता कूष्मांडा।
नवचेतना का बीज बोने वाली, कार्तिकेय की माता कमल पर विराजमान पंचम देवी स्कंदमाता।
महिषासुर विनाशनी,ऋषि कात्यायन की पुत्री, युद्ध की देवी छठी शक्ति माता कात्यायनी।
सप्तम देवी माता कालरात्रि ,दुश्मनों का नाश करती,संकटमोचक दुःखहारिणी।
अष्टम माता महागौरी, अष्टभुजाओं से सुसज्जित ,जिनकी भक्ति से हो सदा सौभाग्यवती ।
सदगुणों का विकास करती सर्व सिद्धियों की हो वृद्धि ,असारता का बोध कराते नवम माता सिद्धिदात्री।
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