Surbhi Mukesh Ladha   (I_surbhiladha✍️)
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Joined 1 May 2021


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Joined 1 May 2021
3 APR 2024 AT 8:56

कसूर न है उसका विधवा हो जाना,
शादी के बाद उसके मायके में भी
कोई जगह नहीं,
क्योंकि बिना पति के उसे अब कोई
पूछता भी नहीं।।
माना की वह इतनी पढ़ी-लिखी नहीं
है फिर भी वह ...
अपने बच्चों के लिए किसी के घर में
काम करके भी
पैसे जोड़ ही लेती है ,
कोई मिल जाए तुमको कभी
" ए -दुनिया - वालो" घाव
भर न सको उसके
तो घाव कभी हरे भी न करना..।।

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25 MAR 2024 AT 0:17

सिख जरा उस प्रह्लाद से सिखों जो
भक्ति-भाव सिखा गया,
सिख जरा उस हिरण्यकश्यप सिखों जो अंहकार से
अपने प्राण गंवा दिया..!!
सिख जरा श्रीकृष्ण से सिखों जो खुद ही अपने
रंग में सबको रंग लेते है,
मथुरा और वृंदावन ही नहीं सृष्टि के हर
कण-कण में धूम मचाते है ..!!
अपने हर रंग में सभी को रंग लेते हैं,
"न ही ऊंच-नीच, नहीं धर्म का भेद-भाव "
वो सिखाते है ;
वो तो हर किसी में रंग जाना सिखाता है..!!

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21 MAR 2024 AT 22:52

Before baby comes he start preparing for their future needs. He never make his wife realise about it. what he actually doing? what all thought we as women sometimes frustrated bcz we all fade up with life and his not available to give time. He also always wants to give time but his unable to manage between staff and boss duties. Sometimes he also fade up though as much as he control his emotions that everything mixed up and make him angry day-by-day.

So ,I request you all gentlemen "Please never control emotions, Please express yourself". So neither you fill hearted nor your wife , mother, etc.

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13 MAR 2024 AT 17:08

कंकड़ को भी मोती कर देता है
निराशा को भी आशा में बदल देता है
प्रथम पूज्य जाने वो देवो के देव गणपति है

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12 MAR 2024 AT 20:06

धड़कनों की मनमानियां बढ़ती जा रही है।
तुमको पाने की चाहत बढ़ती जा रहीं है।।

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12 MAR 2024 AT 16:15

हर रात आपकी रंगीन हो
जब आपके पास मेरी जैसी खुबसूरत सी हसीना हो
दोनों के बदन में लगी आग हो
और रात को सुकून बना देने वाली बात हो

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8 MAR 2024 AT 8:22

वहीं जीवन आधार ही है
हर्ता सृष्टि का हर भार भी है
भूत-प्रेत हो या कोई ऋषि-मुनि हो
सभी का वह एक भाग ही है
समुद्र मंथन से निकला था जो
विष किया इन्होंने पान ही है

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7 MAR 2024 AT 14:42

परंपराओं की बेड़ियों में अब बंदगी हूं
खुद की ख्वाहिशें भुलाकर सभी की फरमाइशें सुनती हूं
फिर भी न जाने क्यूं सिर्फ गलतियां ही
गिनती करवाते है
जैसे की इस दुनिया की सबसे गलत इंसान मैं ही हूं

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6 MAR 2024 AT 23:30

लौट आऊंगी दुबारा ,
होगी मुलाकात जब भी दुबारा ,
तुम कुछ और ही मुझे पाओगे
क्योंकि बेड़ियों से बंद जाउंगी
तुम चाहकर भी सच झूठला न पाओगे

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6 MAR 2024 AT 23:03

वो सारा दिन इंतजार करती
वो कभी थकावट दिखाती न
सभी के ताने-बाने सुनती है
पर उफ तक न करती है

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