क्यूँ सुकून छीनती हो जिंदगी ,
क्यूँ लगाव में फसाती हो जिंदगी ,
कैद हूँ तेरी हथकड़ी में ,
साँसें भीख मांगती है अपनी आज़ादी के लिए
लेकिन तुम्हें परीक्षा लेने की आदत है ,
शिक्षक बनने का तुम्हें शौक है और परीक्षा लेना तुम्हारी फितरत..
खेल लो अपना यह शिक्षक विद्यार्थी का खेल ,
लेकिन ये ना भूलना की एक विद्यार्थी शिक्षक को हरा आगे निकल सकता है ।
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किसी का साथ छूट जाने का डर ,
अकेले हो जाने का डर ,
कुछ हो जाने का डर ,
कुछ खो जाने का डर ,
डर , डर , डर ….
पता नहीं कितना डरायेगा ये डर!
जिंदगी में अगर हर वक़्त किसी को खोने का खौफ लगा रहे तो समझ जाना की आप प्यार में काफी धोखा खाने के बाद भी प्यार पाने की हिम्मत रखते है।
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ख्वाहिशें भी कितनी मासूम होती है , सपने मे अपने आपको देख ऐसे खुश हो जाती है जैसे बड़े पर्दे पर इसकी अभिनय किए चलचित्र चल रही हो!
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दिल में दफ़न है कुछ बातें ,
साँझा करूँ तो कैसे ,
जुबान हिम्मत कर कह भी जाए , लेकिन डर है की
जज़्बातों के उफान से कहीं साँसें ना थम जाए।
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आदमी तब ही तक आपको अपना मानेगा जबतक उसका कोई काम ना बना हो,
एक बार काम बन जाए तब देखना वो आपको पहचानना ही बंद कर देगा।-
मैं इतनी मायने रखती हूँ लोगों के लिए की ,
मैं जो भी कार्य करू , वो सबको करना होता है,
लेकिन जब जश्न मानना हो तो मुझे ही भूल जाते है !
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The galloping feelings were once called love ,
now it is called destruction.-