आज़ाद रखे वो मोहब्ब्त...!
जो रखे बंदिश में वो है हवस...!-
ये एक हरवक्त ठोकरों से गिरती हुई ,
अपने जज्बातों को संभाले रखे , जि... read more
संसार में भटक कर जीने के लिए सहारे और उम्मीद की खोज अपूर्ण रहने के अंतिम क्षण में....!
स्त्री ने संतान को जन्म दे कर अपनी अपूर्णता को पूर्ण किया है।।-
जिनको मैने अपना माना ही नही
उनके प्रती मेरा दिखने वाला समर्पण
समर्पण नही अपितु लोकाचार है।
जिनको मैने अपना माना है
उनको खो देने के डर से
उन्हे मैं दूर से ही निहार कर खुश रही।-
फर्ज की तर्ज पर,इंसान ने कितने कर्ज उतार दिए...!
कितने ही कर्ज चढ़ा लिए इंसान ने,फर्ज की तर्ज पर...!-
तुम्हारा मेरे इश्क में हार कुबूल करना अच्छा लगा
मुझे हारे हुए किरदार बेहद पसंद है
मुंह फेरते हुए शिकायत दर्ज कराना अच्छा लगा
मुझे ऐसी ही शिकायते बेहद पसंद है-
इन मन्नत के धागों पर गौर कीजिए जनाब!
दर्द, दुख,तकलीफों से गुजरने वाले सिर्फ हम अकेले नही है !-
एक तेरे जुदा होने के बाद,
मैनें सजना अब छोड़ दिया था
मैंने सवरने के तरीके बदल डाले
काजल, बिंदी,झुमको का अब शौक रहा नही
एक तेरे जुदा होने के बाद,
मैने आयने में खुद को निहारा नही
मैने अपने आप से बाते भी की नही
मुझे अब हसी ठिठोली का शौक रहा नही
एक तेरे जुदा होने के बाद...!-
एक वो शाम थी,
हम तड़पते थे इस सवाल में
की है क्या तेरे खयाल में ?
आज ये शाम है,
ना मैं हु तुम्हारे खयाल में
ना तुम हो मेरे खयाल में...!-
दायरे को छोड़ कर दायरे में इश्क किया था उसने
तू समझ उसे दायरे की ना दे ।
करना हो तो उसके जज्बात की कर कदर ऐसे
यू बेवजह उसे इल्जाम ना दे ।
कसक है उसके जिंदगी में तुझे ना पाने की
जख्म पर नमक का घाव ना दे।-