suraj yadav   (मानव)
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I am philosopher.
Joined 13 March 2019


I am philosopher.
Joined 13 March 2019
25 JAN 2024 AT 10:01

(आपका जीवन बहुत सारे लोगों का है परिवार का है....जनता के लोगों का है बस आपका नहीं है)
''इतने हिस्सों में बट गया हूं मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं।। जिंदगी से बड़ी सजा ही नहीं और जुर्म है क्या पता ही नहीं।''

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17 OCT 2023 AT 10:53

*पुरुष और स्त्री के प्रेम करने का तरीका*
पुरुष बहिर्मुखी है, स्त्री अंन्तर्मुखी है। पुरुष और स्त्री जब एक-दूसरे को प्रेम भी कर रहे हो, तो पुरुष आंख खोलकर प्रेम करता है, स्त्री आंख बंद करके जब भी स्त्री भाव में होती है आंख बंद कर लेती है क्योंकि जब भी भाव में होती है तो वह अंतर्मुखी हो जाती है प्रेम भी जिस व्यक्ति से करती है उसको भी ठीक से देखना चाहती है तो आंख बंद कर लेती है यह भी कोई देखने का ढंग हुआ ,मगर स्त्री का यही ढंग है और स्त्री जब भी किसी को प्रेम करती है तो परमात्मा से कम नहीं मानती, आंख बंद करके परमात्मा दिखाई देता है, आंखे खोलो तो मिट्टी की देह है। लेकिन पुरुष का रस भीतर कम है बाहर ज्यादा है पुरुष आंख खोलकर प्रेम करना चाहता है, प्रेम के क्षण में भी चाहता है कि रोशनी हो ताकि वह स्त्री की देह को ठीक से देख सके पुरुषों ने तो स्त्रियों की नग्न मूर्तियां भी बनाई हैं स्त्रियों ने पुरुषों की एक भी नग्न मूर्ति नहीं बनाई और पुरुषों ने स्त्रियों के नाम पर अश्लील पोर्नोग्राफी साहित्य चित्र पेंटिंग की है जबकि स्त्रियों ने एक भी नहीं की, क्योंकि पुरूस का रस देह ,रूप , रंग , बहिर में है।।— % &— % &

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16 OCT 2023 AT 7:15

गर छुपाना जानता, तो जग मुझे साधु समझता शत्रु मेरा बन गया है छल रहित व्यवहार मेरा

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11 JUL 2023 AT 9:54

तुम सारा संसार भी पा लो और अगर स्वयं
को खोदो तो इस पाने से क्या फायदा।।

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10 JUL 2023 AT 22:00

हमारे भीतर तीन तल हैं 1. शरीर की जरूरतें -रोटी, कपड़ा, मकान
2. मन की जरूरतें -संगीत, साहित्य, कला
3. आत्मा की जरूरतें-अनाहत नाद
जब शरीर की जरूरतें पूरी हो जाती हैं तब मन की जरूरतें शुरू हो जाती हैं संगीत, साहित्य ,कला जब संगीत चुक जाता है तब ऐसे संगीत की खोज शुरू होती है जो भीतर से लगातार बज रहा है जिसको बजाना नहीं पड़ता है अनाहत नाद है जो अपने आप से बज रहा है यही आत्मा की जरूरत है।।

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10 JUL 2023 AT 21:41

रोओ, तुम अकेले रोते हो,
हंसो, सारा जगत तुम्हारे साथ हंसता है!!

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2 JUL 2023 AT 9:59

एक मन के संबंध में सत्य बात यह है जितने विचार तुम अपने कहते हो उनमें शायद ही कोई तुम्हारा होता है तुम अक्सर दूसरों के पकड़ते हो तुमसे बलशाली आदमी जब तुम्हारे पास होता है तत्क्षण तुम उसके विचार पकड़ लेते हो जो कमजोर होता है वह बलशाली को ही पकड़ लेता है इसलिए कहा जाता है बुरे आदमियों के पास मत बैठना क्योंकि अक्सर ऐसा होता है तुम्हारे तथाकथित भले आदमियों से बुरे आदमी ज्यादा बलशाली होते हैं।

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23 FEB 2023 AT 16:08

तपस्वी खाना कम कर देता है वह यह सोचता है कि, ना तो शक्ति बनेगी और जब शक्ति नहीं बनेगी तो वासना भी नहीं बनेगी लेकिन यह बसना से मुक्त होने का रास्ता नहीं हो सकता है बासना अपनी जगह खड़ी है जैसे ही शक्ति पैदा होगी वैसे ही बासना फिर उठ खड़ी होगी।।

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23 FEB 2023 AT 16:01

जिस चीज को हम स्वीकार कर लेते हैं उस पर ध्यान देना बंद हो जाता है किसी स्त्री के आप प्रेम में हैं उस पर ध्यान होता है फिर विवाह करके उसको पत्नी बना लिया स्वीकृति हो गई ध्यान बंद हो जाता है।।

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23 FEB 2023 AT 15:56

संसारी और सन्यासी में इतना ही फर्क है संसारी पकड़े रहता है, मौत उससे जबरदस्ती छीनती है और सन्यासी अपने आप से दे देता है।।

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