दिल से उसकी तस्वीर हटानी है
इस बार मुझे अपनी चलानी है
यूं ही चश्मा लगाए नहीं फिरता मैं,
ये कमजोर नजरें उसकी निशानी है-
वो बिक चुके थे जब हम खरीदने के काबिल हुए |
जमाना बित चुका था ग़ालिब हमें अमीर होते होते ||-
खुली हवा में रहने वाली लड़कियों का चरित्रहीन होने कि संभावना कम है
बंद कमरों वाली लड़कियों के कांड घर में ही चलते रहे हैं..!!-
अपना ग़म तुमको कैसे समझाऊं सबसे हारा हुआ समझते हो.!
मेरी दुनिया उजड़ गयी इसमें तुम इसे हादसा समझते हो.!-
मेरे बच्चों दिल खोलकर तुम खर्च करो ,
मैं अकेला ही कमाने के लिए काफी हूं.!!-
खुद कमाने लगे तो
शौक खुद ही कम हो गए,
पापा कमाते थे तो
जहाज भी लेने का मन करता था।💯
✍️🥀😐-
उलझ करके तेरी ज़ुल्फ़ों में यूँ आबाद हो जाऊं.!
कि जैसे लखनऊ का मैं अमिनाबाद हो जाऊं.!
मैं यमुना की तरह तन्हा निहारु ताज़ को कब तक
कोई गंगा मिले तो मैं अलाहाबाद हो जाऊं..!!
और ग़ज़ल कहने लगा हु अब जरा सा मुस्कुरा तो दो
यही तो चाहती थी तुम कि मैं बर्बाद हो जाऊं..!!-
जब तक ना लगे बेवफाई की ठोकर ,
हर किसी को अपनी पसंद पर
नाज़ होता है..!!-
मेरे सब्र का इम्तिहान यूँ लिया गया,🙂
मुलाकात का वादा था , लेकिन बात तलक ना हुई!!💞🥀💞-