ऐसा भी नही है कि सब कुछ ऐसा रहेगा,
आज जो जैसा है कल भी वो वैसा रहेगा।
तुम्हारी बात है तुम ही इल्म रखो इसका,
जिसको जो भी कहना है वो कहता रहेगा।
टूटी छत में ख़्वाब बुनती ये शब ए बारिश,
आरज़ू ए मोहब्बत को ये लम्हा अच्छा रहेगा।
ऐसा तो दस्तूर रहा है ज़माने का सदियों से,
दूर रास्ते का सफ़र मंजिल तक तन्हा रहेगा।
कल सहर में जो कुछ हाँसिल होगा तुम्हें,
तुम्हारी मंजिल का वही फ़लसफ़ा रहेगा।
कस भर के छुपा लिए हो तुम जिसे अभी,
अब देर तक कमरे में उसका धुआँ रहेगा।
सूरज शर्मा-
इलाहाबाद विश्विद्यालय
पास से देख के तुझे अपनी निगाहें पाक करनी है,
यार कभी आओ चाय पे, मुझे तुमसे बात करनी है।
Suraj Sharma-
सुनों समंदर हैं तुम्हारी आंखें,
और तैरना मुझे नही आता।
Suraj Sharma
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तेरी साँसों से लग के मेरी साँसें धुआँ,
कमर के तिल का होंठों पे इक निशाँ।
दिल की कशिश धड़कने कह रही,
मेरे इश्क़ का जाने वफ़ा तुझमें ज़ुबाँ।
शाम की बाहों सा बेख़ुद ये तेरा नशा,
मेरी निगाहों में तेरे हुस्न का कारवाँ।
हया सी मुसलसल इक मदहोशी,
और क़यामत भरी ये सारी दास्ताँ।
मोहब्बत में इबादत की उफ़्फ़ ये अदा,
और काफिला यादों का तेरे मेरे दरमियाँ।
Suraj Sharma 🍁-
तुमको जाने कितनी तवज्जो चाहिए अपने लिखे पे,
मेरी ग़ज़ल मुक़म्मल हो जाती है पढ़ के
उसके पलकें झुका लेने से।
Suraj Sharma-
यू ही मशहूर हुए ना हम जमाने में,
जाने कितने चोट लगे हमें ये बनाने में।
कल तक बड़ा सहज था नाम मेरा यारों,
डरते हैं आज लोग लेके नाम बुलाने में।
Suraj Sharma-
कीमत उसके जिस्म का हर आशिक़ दे देगा,
सूरज है कोई उसकी रूह पर बिकने वाला।
Suraj Sharma-
कितनी बेरहम हो गयी हो तुम,
जान,जान से गम हो गयी हो तुम।
Suraj Sharma-