Suraj Pratap Singh   (Suraj Pratap Singh)
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Civil Engineer
Joined 22 July 2018


Civil Engineer
Joined 22 July 2018
6 SEP 2021 AT 21:44

जन्मदिवस की शुभ घड़ी आयी,
सूरज ने भेजा है बधाई।।
चाँद-सितारा जैसे चमको उन्मुक्त गगन में,
होठों पर मुस्कान लिए तुम, चहको घर -आँगन में।।
खुशियाँ चूमे कदम आपके,रब से है दुआ फरमाई।
सूरज भी देता है तुम्हें जन्मदिवस की बधाई,,,।।

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20 NOV 2020 AT 1:09

गर प्यार पर जमाने का पहरा न होता,
तो प्यार इतना सुनहरा न होता ।
हाँ जिंदगी का सफ़र थोड़ा आसान सा लगता,
पर हसीन क्या है पता ही न चलता ।।

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5 NOV 2020 AT 23:25

एक रात होगी, एक बात होगी,
जिस दिन भी मुलाकात होगी ,
उस दिन की कुछ खाश बात होगी ।
कुछ शिकायते तुम्हे मुझसे होंगी,
पर कुछ मुझे तुमसे भी है।
पर न जाने कब वो रात होगी ,
न जाने खुदा तुमसे कब वो मुलाकात होगी।

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6 OCT 2020 AT 2:07

काश एक हवा का झोंका आये।
वो हक फिरसे मुझे दिलाये।
किसी की खैरियत तो ,
किसी की दास्ता सुनाये।
काश एक हवा का झोंका आये।

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20 SEP 2020 AT 23:28

सूरज की किरण उससे नाराज है।
खता बादलों की या गलती बरसात की,
पर सूरज की किरण उससे नाराज है।।
मांगने से जो मिल जाय माफ़ी अगर,
तो वो फिर उसके साथ है।
पर सूरज की किरण उससे नाराज है।
खता बादलों या गलती बरसात की,
सूरज जी किरण उससे नराज है।।

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17 SEP 2020 AT 23:18

भावों के कॉलम बनाकर,
दो छोर मिलाते है।
अहसासों के पुर्जों से ,
सेतु सजाते हैं।
कविताओं की कलियों से ,
खाली पृष्ठों को महकातें हैं।
ढाल अपने स्नेह का देकर,
आपके सपनों की गाड़ी को आगे बढ़ाते हैं।
हम ईंट-पत्थरों से निर्माण के ही नही,
शब्द-सृजन के भी इंजीनियर कहलाते हैं।
🌻🌿🌻🌿🌻🌿🌻

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15 SEP 2020 AT 23:52

सीमेंट के कालम बनाकर ,
दो छोर मिलाते हैं ।
भावों के पुर्जे बनाकर ,
अहसासों से सजाते हैं ।
कविताओं की कश्ती बनाकर ,
डायरी के पन्ने सजाते हैं ।
अपने सपनों को मोड़कर,
आपके सपनें सजाते है।
हम नव निर्माण के ही नहीं ,
शब्दों के भी इंजीनियर कहलाते हैं।

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13 SEP 2020 AT 16:17

एक ही चाहत है जिंदगी मे,
अब और दूसरी कोई इच्छा नही ।
दर्द भले ही कितना मिले जिंदगी में,
पर झूठा हमदर्द नही।।

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11 SEP 2020 AT 23:27

जो बीत गयी, वो बात गयी ।
वो दौर गया वो रात गयी ।।

माना एक सितारा था ।
जो दिल को बेहद प्यारा था ।।
वो टूट गया, वो छूट गया ।
यूँ वक्त का दरिया बहता गया।।
जो बीत गयी, वो बात गयी ।
वो दौर गया वो रात गयी ।।

कुछ सपने थे, जो अपने थे
सपने टूटे, अपने छुटे ।
जो टूट गया वो नहीं जुड़ा।
जो छूट गया वो नहीं मिला ।।
जो बीत गयी, वो बात गयी ।
वो दौर गया वो रात गयी ।।

अम्बर के आनन को देखो,
उसके कितने तारे टूटे ।
पर उन टूटे तारों का क्या,
अम्बर शोक मनाता है ।।
जो टूट गया, सो टूट गया ।
जो छूट गया सो छूट गया ।।
वो दौर गया वो रात गयी।
जो बीत गयी वो बात गयी।।

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11 SEP 2020 AT 0:14

इश्क में अक्सर ऐसा होता है,
हम जिसे चाहे वो किसी और का होता है।

इश्क में अक्सर ऐसा होता है,
दर्द मिलता है दिल को और आशिक रोता है।

इश्क में अक्सर ऐसा होता है,
हँसी तो होती है ओठो पर ,
मगर इंसान अंदर से टुटा होता है।

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