जब कभी तुम्हारा दिल टुटता है तो दिल ये मेरा रोता है,
अनजाने से भी हमसे कुछ भूल हो जाती है, तो आंखें बस आसुओं से घुल जाती है।
हां बातें कुछ अटपटी सी कभी कर जाता हूं,
पर यार तुम्हें दुखी देखना कभी नहीं चाहता हूं।
ना मैं वो कर पाता जो मैं समझता,
और ना ही मैं वो करता जो तुम समझते।
पर पता नहीं क्यों और कैसे
बस चेहरे पे तुम्हारे खुशियों की जगह गम ही दे जाता हूं।।
यार तुम्हें दुखी कर के मैं खुश कैसे रह सकता हूं,
तुम्हें बुरा बता के मैं भला कैसे बन सकता हूं।
तुमको ही माना है,जाना है और तुमको ही पहचाना है,
जग का क्या ही करना ये तो वैसे ही बैगाना है।
ना बदला ना बदलूंगा,
यार मैं जो तब था अब भी वही ही हूं ।
चाहता हर वक्त यही कभी तुम्हें कोई गम न मिले
पर कभी कभी इसकी वजह मैं ही बन जाता हूं।
हां जानता ये भी हूं समझते तुम मुझे
पर दिल को बस कभी कभी ये समझा ना पाता हूं।।
आंखें जागती दिल ये सोंचता,
जब मेरी वजह से तू है रोता।
ना जता पाता और ना बता पाता,
मेरे हिस्से की आंसू जब भी तुम्हारे आंखों से निकलता
दिल मेरा भी उस वक्त तड़पता ।
खैर हूं तो इंसान ही ,
इसलिए मांगता कुछ भी नहीं ।
क्योंकि मांगने पर भी कहां कभी मिल पाता,
करता कुछ हो कुछ जाता,
ना चाहते हुए गमों की ही वजह बन जाता।
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