Suraj Pathak   (@yourfeelings_inmywords (Suरज))
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Joined 9 November 2017


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15 SEP AT 22:26

जग को कर रोशन, ये आसमाँ भी तुम्हारा होगा,
मिले या न मिले मंजिल, पर रास्तों में पहचान तुम्हारा होगा।
तम के पहरे से निकल, उजाले की ओर बढ़ेंगे जब कदम,
बुलंदियों के शिखर पर, एक दिन नाम भी तुम्हारा होगा।
ठहरेगी साँसे, लड़खड़ाएँगे कदम,
पर न रुकना तू, न थकना तू,
हिम्मत न हारना, अपना धैर्य न खोना,
भरी महफ़िल के शोर में भी गूँजेगी जो नाम
वो नाम बस तुम्हारा ही होगा।

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13 SEP AT 21:34

मेरी खामोशियाँ अब मुझसे सवाल करतीं,
क्या खो गया वो शोर जो मुझ में था कभी,
या दब गया हूँ इस भीड़ में कहीं।
ये खामोशियाँ अब हर रात मेरा हिसाब करतीं।

आँखों में है समंदर गहरा,
होंठों पर लगे ताले हैं,
हृदय में उठते तूफान से
छाए घनघोर बादल काले हैं।
हर आह पर, हर दर्द पर, अब ज़िन्दगी ये हँसती,
ये खामोशियाँ अब हर दिन अपने सवाल बदलती ।

बंद लफ्जों के सायों से होकर,
हर दिन, एक नई चुप्पी के साथ
मुझे मेरे ही अंदर से पुकारतीं—
"या तो बोल दो, या मुझे बोल जाने दो।"
इसी कश्मकश में ये वार गुजरतीं,
ये खामोशियाँ, अब मुझसे सवाल करतीं।
मेरे हर एक दर्द को चुपचाप सहलाती,
कभी नए, तो कभी बीती बातों से अवगत करातीं,
ये खामोशियाँ हर दिन, नए सवाल लातीं।

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21 MAR AT 11:04

तुमसे अब रिश्ता है कुछ ऐसा
ना नफ़रत है और ना ही इश्क़ है पहले जैसा ।
ना पाने की तुझे चाहत है ना ही खोने का है कोई ग़म
अब ना ख़ामोशी और ना ही है ये आँखे नम ।
साथ हो या ना हो अब कोई फ़र्क़ नहीं
वज़ह चाहे जो भी रही हो आगे अब कोई तर्क नहीं ।

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12 DEC 2024 AT 22:04

उलझी हुई सी है ये ज़िंदगी,
थके हुए से हम,
खोने पाने के खेल में
हो चुकी है ये आँखें नम।

अतीत के साये में भविष्य ढूँढती,
वर्तमान को मिल रही है ग़म।
थक हार इस संसार में,
अब शून्य हो चुके है हम।

अब कहाँ जाएँ, किस ओर चलें?
थम चुके है मेरे ये कदम।

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26 NOV 2024 AT 7:18

दुनिया के रंगों से मैं अनजान था,
अपने-पराये का न पहचान था,
सपनों की दुनिया में खोया था,
झूठ और फरेब के साए ने घेरा था।

हकीकत ने आज है झकझोरा,
धोखे की बिसात ने है इस दिल को तोड़ा।

ना कभी किसी से कोई भेद किया,
न्योछावर सर्वस्व सदैव किया।
बिना दिल के जज़्बातों को समझे,
हर रिश्ते को अपने हृदय से लगाया।

समझा न था मैं ये जग झूठा होगा,
अपनों के बीच ही छिपा कोई बैगाना होगा।
खैर, चोट इस कदर है खाई,
जिस्म से ज़्यादा ये रूह है काँप आई।

अब किससे करूँ गिला, किससे करूँ शिकवा,
जब किसी ने कोई कसर न छोड़ी।
अब जैसा हूँ, जो भी हूँ,
बस अब ठीक हूँ।

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28 SEP 2024 AT 11:56

यादें थी ऐसी, भूले तो थे पर भूले न थे, 😊
दिल के कोने में छुपी, वो कहीं खोई न थी💭
वक़्त के साथ बदल गई , वो पुरानी कहानी ⏳
पर दिल के किसी कोने में, वो यादें अब भी जवाँ ही थे. ❤️

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12 SEP 2024 AT 22:02

ख़्वाबों की उड़ान में, जब खो गया था आसमां,
अपनी ही ज़मीन से, क्यों अनजान हो गया मैं।
दूसरों की हंसी के लिए, अपना दर्द छुपाया,
खुद के टुकड़े करके, सब में बाँट आया।

अब जब देखता हूँ, टूटे हुए आईने में खुद को,
एक अधूरी तस्वीर, बिन रंगों के उभर आयी है।
फिर भी एक आस है, बाकी इस दिल में,
कि शायद एक दिन, ये तस्वीर पूरी हो जायेगी,
सपनों को फिर से नई उड़ान मिल जायेगी।
खुद को फिर से पाऊँगा, अपने ही रंगों में,
फिर न कोई आस अधूरी, न कोई ख्वाब अधूरा रह जायेगा ।

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6 MAY 2023 AT 0:07

समय निरंतर चलता जा रहा वक्त मेरा थम सा गया है
ये उगता सूरज शायद धीरे धीरे ढलने को आया है।
लड़ कर ज़माने से अब खुद से ही हारा है
ये दिल जो जिद्दी सा था अब तो वो भी बेसहारा है।

न दिखती कोई उम्मीद की किरण न दिखता कोई आस है
सब होते हुवे भी कुछ भी नहीं अब पास है।

हां कदम की कदम से कदम थी मिलाई
पर कोशिशों के बावजूद भी सबकुछ अधूरी ही है पाई ।
खैर सवेरे से तो निराश थे अब शाम से भी चोट खाई है
लोगों की छोड़ो क़िस्मत को भी अब शायद हमसे कुछ ज्यादा ही रुसवाई है।

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12 SEP 2022 AT 8:02

क़िस्मत से हारा मैं वक्त का मारा हूं,
अपनी लाचार सी जिंदगी का मैं एक भागता बंजारा हूं।
ना रास्ते साफ़ है ना मंजिल पास है,
अधूरी ख्वाहिशें साथ में मन निराश है ।

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12 SEP 2022 AT 6:30

नहीं बन पाया मैं एक सच्चा दोस्त
नहीं निभा पाया मैं दोस्ती
हां कोशिश ज़रूर दिल से की थी मैंने
हर गम हर आंसू छीनना चाहा था तुमसे
पर चाहत अधुरी सी रह गई मेरी
नहीं दे पाया खुशियां सारी
ना समझा पाया खुद को
और ना खुद को जता पाया
ना बातें सारी बता पाया
और ना जज़्बात अपने दिखा पाया
दिल को चोट पहुंचाया आंखों को भी रुलाया
एक अच्छा इंसान भी ना मैं बन पाया
ना दर्द बांट पाया और ना गम ले सका
यार ये कैसी दोस्ती मैं निभाया
सोंचा था कुछ वक्त साथ होंगे
जी भर के हर उन लम्हों को जिएंगे
अपनी अधूरेपन को तुझसे जोड़कर दोनों पूरे होंगे
पर किस्मत को कोसू या नसीब को दोष दूं
ख़ुद को बोलूं या ईश्वर से शिकायत करूं
हर चीज़े क्यों मैं ही अधूरी पाऊं
कितना खुद को हर वक्त सम्हालु
कितना खुद को मैं समझाऊं
थक चुका हूं हार गया हूं
खुद में ही अब बिखर गया हूं
अगर हो प्रभु आप इस जहां में तो मेरी आखिरी बात भी सुन लो
मांगता नहीं मैं कभी ज्यादा आपसे पर इस बार मांगता हूं
बहुत को चुका मैं बचपन से अब नहीं खोना कुछ मुझे
देनी हो जिंदगी तो अच्छे से दो
वरना ये जिंदगी ही छीन लो ।
ना फिर शिकायत रहेगी ना गिले शिकवे रहेंगे
हां कुछ दिन लोग रोएंगे
पर फिर सब भूल ही जायेंगे

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