सुना है
शहर में सच्चे इश्क़ करने वालों का नाम
अखबारो में छपा है,
उसमे मेरे दोस्तों के नाम नहीं हैं,
शायद, खबर पक्की नही।
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नियती ने क्या नियत दिखाई है,
आज अपनो ने ही अपनो को
कब्र में जगह ना देने की सफाई दी है।
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गालिब,समय समय की बात है
कल तक जो लोग समय के अभाव में जी रहे थे
आज वही समय के प्रभाव में जी रहे हैं।
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करिश्मा तो उस कुदरत का ही है
नाम कोरोना का तो बस
यूं ही बदनाम हो गया ।
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सुना हैं कल तक अपने घरों को महल कहने वाले
आज जैल और खुद को कैदी बता रहे हैं,
लगता हैं मुजरिम ने अपनी गलती स्वीकार कर ली है।
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लगता हैं मुजरिम के साथ न्याय किया गया है
निर्दोष को स्वतंत्र और दोषीयो को सलाखों में डाला गया है।
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The difference between
who you are and
who you want to be Is
what you do now.-
क्या कभी सोचा???
क्यूँ टूट रही हैं आज
ये जीत और हार के हौंसले
क्यूँ इतनी पास आ चुकी हैं
जिंदगी और मौत के फासले,
कल तक तुझे
जिस मानव जाति होने का गुमान था,
अब तक जो हुआ है ये उसी क परिणाम था।
संभल जाओ,समझ जाओ,
मानव हो, जरा मानवता दिखाओ।-
क्यू टूट रही हैं
मेरे जीत और हार के हौसले,
क्यू इतनी पास आ चुकी
ये जिंदगी और मौत के फासले
हैं कैसी ये मजबूरीया
मेरी खुशी, मुझसे ही बैठ बनाई ,,,दूरीया|
ना जाने क्यूँ ,
मेरी सान्से, अपनी ही सांसो से लड रही हैं
मेरी धडकने, अपने ही जिस्मो से मुहँ मोड़ रही हैं
ये अमबक, आन्सूऍ की चादर ओढ़ रही हैं
और ना जाने क्यूँ
ये मेरा वक्त, मेरे ही बुने सपनो की मंज़िल को तोड़ रही हैं|-