Suraj Kumar Thakur   (सूरज कुमार ठाकुर)
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Joined 10 February 2018


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Joined 10 February 2018
3 MAR 2021 AT 19:02

उनके उदास चेहरे पर भी रानाई रही
हम गए वहीं जहां उनकी तन्हाई रही

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28 FEB 2021 AT 23:15

साड़ी तो चुरा लाया तेरी अलमारी से मगर
तेरे बदन की खुशबू नहीं मिलती इनमें

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23 FEB 2021 AT 9:46

हुस्न की नुमाइश है,
इश्क़ की खिलवत में,
बस तुम हो और कोई भी नहीं।

कोई मीठी सी साज़िश है,
तेरे आने की आहट में,
बस तुम हो और कोई भी नहीं।

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14 FEB 2021 AT 23:21

तेरे जिस्म की खुशबू से भरी एक शीशी हो
बस एक ऐसा ही इत्र चाहिए

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31 OCT 2020 AT 1:37

क्या कैफ़ियत रही होगी उनकी
दुआओं में जिन्होंने इश्क़ मांगा

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10 OCT 2020 AT 17:28

बताओ आख़िर किस बात की तसल्ली देता मैं तुम्हें
तुम्हें तो तकलीफ़ थी उन तसल्लियों से भी हर दम

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7 OCT 2020 AT 13:42

अब कोई कैसे उन्हें मनाए 'सूरज'
वो तो अब रूठते भी नहीं हमसे

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11 FEB 2021 AT 0:18

मुतासिर हूं कुछ इस क़दर तुझसे की डर लगता है
हिज्र होगी एक दफा कभी सोच के डर लगता है

जहां से खींच लाती है खुशबू तिरी मुझसे मुझको
उस खुशबू की कमी लगने से अब डर लगता है

यूहीं भूल जाता हूं मैं चलते हुए सभी रास्ते अक़्सर
इन रास्तों पर तिरी परछाई के ना होने से डर लगता है

फ़क्त गुज़र रहे हैं शब ओ रोज़ बे-सबब आज कल मेरे
तू मिरी ख़्वाब में जो ना आए तो सोच के डर लगता है

किसी दिन थक कर मूंद लूंगा 'सूरज' आंखें अपनी
तू मिरी कब्र पर ना आयेगी ये सोच के डर लगता है

मैं जानता हूं तेरी नारजगी का सबब क्या है यास्मिन
अब तो मेरी तनहाईयों से भी मुझको डर लगता है

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8 FEB 2021 AT 23:05

ना करिए मोहब्बत का इज़हार हमसे
हम क्या जाने मोहब्बत क्या होती है

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30 JAN 2021 AT 18:37

इक उम्र बीती और वो किनारों में चला गया
मैं देखता रहा और वो सितारों में चला गया

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