उनके उदास चेहरे पर भी रानाई रही
हम गए वहीं जहां उनकी तन्हाई रही-
Old School 🥀
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दरमिया... read more
साड़ी तो चुरा लाया तेरी अलमारी से मगर
तेरे बदन की खुशबू नहीं मिलती इनमें-
हुस्न की नुमाइश है,
इश्क़ की खिलवत में,
बस तुम हो और कोई भी नहीं।
कोई मीठी सी साज़िश है,
तेरे आने की आहट में,
बस तुम हो और कोई भी नहीं।-
तेरे जिस्म की खुशबू से भरी एक शीशी हो
बस एक ऐसा ही इत्र चाहिए-
मुतासिर हूं कुछ इस क़दर तुझसे की डर लगता है
हिज्र होगी एक दफा कभी सोच के डर लगता है
जहां से खींच लाती है खुशबू तिरी मुझसे मुझको
उस खुशबू की कमी लगने से अब डर लगता है
यूहीं भूल जाता हूं मैं चलते हुए सभी रास्ते अक़्सर
इन रास्तों पर तिरी परछाई के ना होने से डर लगता है
फ़क्त गुज़र रहे हैं शब ओ रोज़ बे-सबब आज कल मेरे
तू मिरी ख़्वाब में जो ना आए तो सोच के डर लगता है
किसी दिन थक कर मूंद लूंगा 'सूरज' आंखें अपनी
तू मिरी कब्र पर ना आयेगी ये सोच के डर लगता है
मैं जानता हूं तेरी नारजगी का सबब क्या है यास्मिन
अब तो मेरी तनहाईयों से भी मुझको डर लगता है
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ना करिए मोहब्बत का इज़हार हमसे
हम क्या जाने मोहब्बत क्या होती है-
इक उम्र बीती और वो किनारों में चला गया
मैं देखता रहा और वो सितारों में चला गया-
सिगरेट के धुएं सा मैं उड़ता चला गया
तुम कश बनकर ठहर गई लबों पे मेरे-