न जाने क्यों यह दिल उदास सा रहता है,
हाथों मे जाम है, पर प्यास सा रहता है,
ढूंढता रहता हूं खुद को न जाने कहां कहां,
मुझ में मेरी पहचान इतिहास सा रहता है...
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ଆସିଲା ପରବ ହୋଲିରେ ଭାଇ,
ଆସିଲା ପରବ ହୋଲି,
ସଭିଏଁ ରଙ୍ଗନ୍ତୁ ପ୍ରେମର ରଙ୍ଗରେ
ରାଗ ପ୍ରତିଶୋଧ ଭୁଲି ।
ହସର ଗୋଲାପୀ, ସ୍ନେହର ସବୁଜ,
ପ୍ରେମର ଲାଲିମା ନେଇ,
ହୋଲି ଆସିଅଛି ସବୁରି ଜୀବନେ
ରଙ୍ଗ ବୋଳିବା ପାଇଁ ।-
दोस्त
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आओ सुनाउँ एक कहानी, जब मैं गया अय़ोध्या-धाम,
प्रभु राम के चरण कमल में करने लगा मैं ध्यान ।
(पूरी कविता caption में....)
Happy Friendship Day !!!!
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जब खाली जेब की वजन हर रिश्ते पे भारी पड़ता है,
फिर सिर्फ उसके होने से, कई चेहरों का रंग उड़ता है,
जब अपनों की भीड़ में भी वह खुद को तन्हा पाता है,
उस वक्त कुछ और नहीं बस सन्नाटा अच्छा लगता है !
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रिश्ते मेहमान बनकर आते रहे बस जाने के लिए,
जो अपना था वो बस अपना था कुछ पाने के लिए,
आखरी सांस तक वो भी तनहाई चुपचाप सह गया,
ठीक उसके जैसा ही उसका घर अकेला रह गया...-
दर्द बता नहीं पाता, आंसू दिखा नहीं पाता,
हंसी होंटों पे लगाए मैं सभी से मिलता हूं,
पर खुद अपने आप को मैं हंसा नहीं पाता ।-
रोज़ का है सफर मेरा,
तुम इसे 'शायरी' कहते हो
और मैं इसे 'जिंदगी'...-
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पता है, यहाँ कोई नहीं देता
जिंदगी भर का साथ,
पर जितनी देर भी साथ रहो,
जिंदगी भर की याद दे जाना....
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