वज़्न- 212 212 212 212
दर्द-ए-दिल जिंदगी नाम है रोइये
इश्क़ आज़ार अंजाम है रोइये
रायगाँ रात जो काटनी है मुझे
हाथ में आखिरी जाम है रोइये
बारहा दरमियाँ दूरियाँ मिट रही
ज़ीस्त में बस यही काम है रोइये
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Suraj Gupta
(सूरज "पथिक")
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आसान नही है सूरज बनना बहुत तपना पड़ता है!
धरावतरण दिवस
21/08/1997
भारत की हृदयस्थली मध्यप्रद... read more
धरावतरण दिवस
21/08/1997
भारत की हृदयस्थली मध्यप्रद... read more
Joined 25 May 2019
17 APR 2022 AT 10:02
29 SEP 2021 AT 21:03
वज़्न- 2122 1212 22
ये जवानी है दिलनशीं साहब
मसअला इल्म-ए- हुस्न का है बस
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22 SEP 2021 AT 20:45
इक फ़र्द
वज़्न- 1222 1222 1222
कभी रोया कभी खुद खामुशी चीखी
मिरा जीना मिरा मरना लगा ही है
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4 AUG 2021 AT 23:09
वज़्न- 2122 2122 2122 2122
जब से हम तुम जिस्म से खेलें हुआ यह मर गई रूह
क्या बताऊँ यह कहानी जानो की बस जल गई रूह
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2 JUL 2021 AT 21:44
इक फ़र्द
वज़्न- 22 22 22 22 22 22 22
कहने को क्या था, नख़वत में तो हम दोनों ही थे
हमने तो तामील न की औ उसने भी बात न की
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27 JUN 2021 AT 0:30
वज़्न- 22 22 22 22 22 22 22 2
मे'यारात दिखाने वालों मेरी भी खूबी देखो
मैंने छोड़ा जिसको उसके पीछे दुनिया पागल थी
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21 JUN 2021 AT 22:25
वज़्न- 2122 1212 22
तंग- दस्ती है तो करूँ क्या ? ये
शाइरी पेट क्यों नही भरती-