चारागर ही कर देगा बीमार, किसको कहे
खंजर छुपा के आया है यार, किसको कहे
बुला आता था भाई को बचपन के झगड़े में
उसने ही खेंच ली है दीवार, किसको कहे
दो चार दुख सुनते ही रोने लगते है ये लोग
सुन नहीं पाता कोई लगातार, किसको कहे
महल से लौटे है दुत्कारे हुए सो खामोश है
हमने सजाये थे इनके दरबार, किसको कहे
कोई इस पार है नही किसको ये कह सके
दिल नही लगता है इस पार, किसको कहे
यूं दुनिया भर की बाते करता रहता सबसे
पर जो कहना है एक बार, किसको कहे
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