My throat becomes dry even when I try My heart becomes void of every feeling My brain can no more accommodate my thoughts Those conversations that used to tantalize me... Today just thinking about talking to you burns me in and out
दर्द को तेरे कैसे में लफ़्ज़ों में पिरोऊ ? बता यादें तेरी आए तो रातों मे कैसे सोउ ? आंसूओं को घोट कर सांसें तो में ले रहा हूं पर बता जब ज़िक्र हो तेरा अंदर में कैसे ना रोऊ
कल जो मरा था वो मजदूर था आज जो मरा वो मजदूर था उसकी दोनों मुट्ठियां खाली थी उसके फटी हूयी जेब मे चाँदका एक सूखा टुकड़ा था और चोरपकिट में सूरज की चंद रोशनी परसो जो चल बसेगा शायद वो मजदूर का बेटा होगा यही इंसानियत का भद्दा मज़ाक ही तो है सुना है उसे चाँद में रोटी दिखती थी और सूरज में भूक की आग
हर बार तेरी बात सुन सकु ज़रूरी नहीं, ना रह सकु तेरे साथ तो ये दूरी नहीं । तेरी फिकर करने की आदत सी हो गई है मुझे, ना जानू तेरा हाल तो मेरा चैन मुमकिन नहीं । शायद ना करता रहु तुमसे तुम्हारी जितनी मोहब्बत, ये हमेशा मैं दिखाता नहीं ।
कितनी बेरंग थी ये ज़िंदगी तेरे आने से पहले .. पर अब तो इद्रधनुष भी फीका पड़ जाये आपने सामने.. सांसें तो पहले भी चल रही थी तेरे आनेसे पहले.. पर अब धड़कनो को सुनने का मजा आने लगा .. सोता तो पहले भी था तेरे आनेसे पहले पर अब रात रात जागने का मजा आने लगा .. जिन्दगी तो पहले भी थी तेरे आनेसे पहले .. पर अब जीने में मजा आने लगा.. हाँ बस यूही मुझे कुछ कुछ होने लगा ...