बेहिसाब कोशिशों के बाद भी, मेरी जिंदगी बिखर जाती है
कभी रास्ते खत्म नहीं होते, तो कभी मंजिल मुकर जाती है-
मैंने वो मंजर भी देखा है जब मेरी मोहब्बत कोड़ियों के दाम बिकी थी
शादी का जोड़ा पहनकर वो जब रकीब के साथ दिखी थी
और मेरी भी हो सकती थी यारों लेकिन
मेरी किस्मत तो मेरे CAST CERTIFICATE पे लिखी थी-
ख्वाबों मे भी अब उनसे मुलाक़ात नहीं होती
दिन तो ढल जाता है मगर रात नहीं होती
और गुफ़्तगू तो होती है उनसे बहुत लेकिन
दिल से मगर दिल की कोई बात नहीं होती-
भरी गर्मी मे यूं सावन की तरह बरसात हो रही हो जैसे
कोई रूठी प्रेमिका मेहबूब की जुदाई मे रो रही हो जैसे-
मैंने सुना था कोई पागल शख्स सड़को पे चीख-चीख कर कह रहा होगा
जिसके बगैर मैं रह नहीं पा इक पल सुकून से
वो रकीब की बांहों मे सुकून से रह रहा होगा-
जमाना यूँही नहीं फूलों पे फ़िदा होता है
सारा मसला तो खुसबू से शुरू होता है-
खूबसूरत लोग शहर-ए-जमाल में रहते है...
जो महज आँखों से क़यामत ढाते है, वो लोग भोपाल में रहते है|-
बिलक रहा हूं मन ही मन में
मैं सन्नाटे का सोर हूं
फकीरी आयी है मेरे हिस्से में
मुझे देख लो मैं हर ओर हूं
थिरक रहा हूं चंद सिक्कों के लिए
मैं मजबूरियों का दौर हूं
मेरी जिंदगी है और कही
मैं जी रहा कही और हूं-
यादें बेसुमार है आपकी, पर आप जिंदगी के मुक़्क़मल किस्से में नहीं आ रहे...
हांथों में तो आप रहते है हमेशा, फिर बताये कि क्यू हिस्से में नहीं आ रहे?????-
खुशी कुछ पल की मेहमान बन कर चली गयी
मुकम्मल फसाना रहा उदासी का
और मेरे मेहबूब ने भी मांगी थी खुशियाँ मुझसे
पर मेरे पास तो पता था सिर्फ उदासी का-