जब कोई व्यक्ति आपकी बात को गलत समझ लेता है तो, उसे समझाने के हेतू आपके हृदय के शब्द ओठों से व्यक्त कर पाना बहुत कठिन हो जाता है।
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Suraj Arya
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Joined 27 November 2019
28 DEC 2021 AT 7:09
27 NOV 2019 AT 16:04
यः कुक्षिः सोमपातमः समुद्र इव पिन्वते।
उर्वीरापो न काकुदः॥ ऋग्वेद १-८-७।।
सूर्य अपनी किरणों द्वारा पेड़-पौधों का संरक्षण और संवर्धन करता है। समुद्र का जल वाष्प जल का संवर्धन करता है। पृथ्वी जीवन का आरक्षण और संवर्धन करती है। उसी प्रकार प्राण शरीर में व्यापक होता है और वाणी का आधार बनता है। (ऋग्वेद १-८-७)
Sun protects and promotes all plants and trees by his rays. The vapours of ocean agument water. Earth protects and promote life. Similarly, Pran fills the body and Pran promotes the Vani. (Rig Veda 1-8-7)
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