वो शिक्षक है
वो कहा भेद भाव करता है ,
वो कलम की ताकत पर ही तो सबको नाचता है ,
वो शिक्षक है वो कहा किसी के बातो में आता है ।।
सुरभि-
तुम्हें कौन सी मेरी कदर थी
चाहत की दीदार नसीबो से मुकमल होती है ,
वो मेरे जहन के दिल में हमेशा करीब होते है ।
चेहरा उनका दीदार चमन में फूल सा खिला नज़र आता है ,
उनके मुलाक़ात के बिना कहा ये शाम ढल पाता है ,
उन्हे मालूम है मेरी कस्तियों की हकीकत ,
उनके बगैर मेरा वजूद कहा नज़र आता है ।
सुरभि-
इक तेरी नज़र इस कदर लगी मुझे
की अब दीदार हों तो सास भी ले सकु।
सुरभि-
लोग कहते हैं, की इक अज़ीब सा कशशी है मेरी हसीं में ,
अब उन्हे कोन ही बताए इन लबों को बस इंतज़ार उसका है ।
सुरभि
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मेरी कहानी सुनने की नुमाईस ना कर
ये मेरी खामोशियाँ तुझे युही रुला देगी।
जो दर्द मैंने दबा रखे है अपने होठों होतो पर
मेरी हसीं देख कर ये भी मुस्कुरा देंगी ।
लोग अक्सर आकते है मुझे मेरी खमियों पर ,
बदलता वक़्त उन्हे भी जीना सीखा देगी ,
मेरी कहानी सुनने की नुमाईस ना कर
ये मेरी खामोशियाँ तुझे युही रुला देगी।
सुरभि
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It doesn't matter who wants you ,
The only matter is that , who respects your presence .
Surabhi-
तेरे शब्द मेरे किरेदार को नही दर्शाता है ,
मैंने जलते आग से खुद को बचाना सीखा है ।
सुरभि-