Surabhi Awasthi  
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Joined 14 June 2020


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Joined 14 June 2020
9 AUG 2021 AT 22:49

अब फिर अजनबी ही रहने दो मुझे
किश्तों में जो तुम्हें आना है।
ज़रा उम्र की पन्ने गिन लूँ,
और कितनी दफ़ा तुम्हे खोना है
और कितनी दफ़ा तुम्हे पाना है।

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26 JUL 2021 AT 1:41

Bitter ending is better than endless bitterness.

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20 JUL 2021 AT 16:37

ज़िन्दगी जीने की तैयारी में
ज़िन्दगी गुज़र रही है।

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18 APR 2021 AT 2:48

ये इश्क़ की फ़ितरत का उसूल है जनाब,
मुड़कर देखोगे तो मोहब्बत मानी जाएगी।

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17 JAN 2021 AT 20:09

रोककर रखने से कहीं ज्यादा प्रेम
जाने देने में लगता है।

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18 NOV 2020 AT 14:36

Hazaro views or likes me se
Kisi ek ka view or like dhoondhna bhi
Mohabbat hai.

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6 OCT 2020 AT 2:19

दिल है भारी आँखे हैं नम
मोहब्बत क्यों देती है इतना गम?
मैं हालातों से कैसे जीतू,
जब दिमाग पे तू भारी है
मेरे उमड़ते जज़बातों पे
तू क्यूँ इतना सवाली है?
मैं ना चाहूँ की तुझे सोंचू
तू मेरी हर सोच पर क्यूँ भारी है?
तू चला जा किसी का हाँथ थाम कर
मैं कह दूँगी तुझे बेवफा
तकिया में मुँह छुपा कर।
बस तू आज़ाद कर दे अब
यादें तेरी मुझे नही सहनी अब
कैसे बढ़ा दूँ अब कहीं और कदम
जब एक मुलाकात में तू इतना भारी है।
बहते मेरे अश्कों का सिर्फ तू ही कातिल है
मेरी छोटी छोटी खुशियों में तू ही तो शामिल है
मैं शब्दों का जाल कैसे बनाऊँ?
तू बता ना, मैं अपनी मोहब्बत तुझे कैसे समझाऊँ?
तू समाया है मुझमें जैसे चंदन की महक सा
तुझे पाया है मैंने जैसे शामों में सहर सा
ये कैसा रिश्ता है तुझसे मेरा
तू न होकर भी, है तो सिर्फ मेरा
आंखे हैं फिर आज नम
दिल आज फिर भारी है
जुगनू भरी इन रातों में
तू आज फिर सवाली है।

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4 OCT 2020 AT 20:48

गणित में पकड़ मजबूत बना लीजिए साहब,
आजकल लोग हिसाब मांगते हैं कि "तुमने मेरे लिए किया क्या है?"

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25 SEP 2020 AT 23:09

बहुत सी बातें हैं जो अक्सर दिल मे दबा देतें हैं
तो क्या हुआ जो तुम सुनने को नहीं राज़ी
चलो, पन्नों पर उतार देते हैं।

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22 SEP 2020 AT 22:14

उनकी बदतमीज़ी की क्या तालीम दूँ
वो हँसते हैं मेरे ख्वाबों पर
बेबाक़ आँखे पढ़ते हैं वो मेरी
हैरान हैं वो मेरे मुस्कुराने पर।

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