" अविदित वेदना "
मुबारक हो तुमको आज का दिन,
तुम प्रेम दिवस जो मनाओगे
एक व्यक्ती का हाथ थाम,
दिवास्वपन में जाओगे l
स्वार्थ जन्य ये अगाध प्रेम
तुमसे कसमे खिलवायेगा,
संग जीना तो ठीक है पर
मरने का वादा करवाएगा l
व्यष्टि समर्पित ये दिवस,
फ़िरंगी रंग रंग जायेगा l
स्व की खुशियों का मद तुमको
इतना निष्ठुर कर जायेगा l
समष्टि पर क़ुर्बान हुये का
खयाल न तुमको आयेगा,
देश प्रेम सिसकेगा मन में
और यूवा जश्न मनायेगा l
लाल दिलों से सजा दिया सब
वीरों का लहु ना याद आया l
सूनी माँग, भीगा आँचल,
इनको कौन सजा पाया l
साल भर में शहादत भूले
तुम क्या मोहब्बत दिखलाओगे l
चेहरा छिपाकर फिरने वालों,
अकृतज्ञ बन नाचोगे गाओगे l
मना नहीं, एक साथी चुन कर,
उसके संग यूं खुश रहना l
बुरा नहीं, पाश्चात्य संस्कृति
के फूलों को चुन लेना l
उम्मीद है कि हृदय है तुम में
उसको न पत्थर बनने देना,
प्रेम दिवस मानाने में बस
संवेदना मत मरने देना !
~~~ ' सुर ' श्री ~~~
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