supriya satyarthi   (~supriyasatyarthi©)
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Joined 24 November 2017


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21 FEB 2022 AT 21:28

एक चेहरे पर एक चेहरा लगाए बैठे हैं,
कुछ इस तरह हम अपना गम छुपाये बैठे हैं।

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10 FEB 2022 AT 19:56

उलझे हुए रिश्ते
— % &

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9 DEC 2021 AT 17:31

जिन्दगी में हम क्या कुछ नहीं चाहते है,
ख्वाब देखते है,
उन ख्वाबों का महल भी बना लेते हैं,
पर एक वक्त के बाद जिंदगी के हम उस राह पर आ जाते है ,
कि हम खुद ही भूल जाते हैं,
कि हमने कोई एक ख्वाब भी देखा था।

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1 NOV 2021 AT 21:33

क्या तुम्हें तकलीफ नहीं होती???

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9 SEP 2021 AT 14:43

दौलत नहीं, शोहरत नहीं
ना वाह वाह चाहिये

कहाँ हो ? कैसे हो ?
बस जब तक जिंदा है,
यही दो लफ्जों की परवाह चाहिये।

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5 SEP 2021 AT 11:14

जीवन एक मिथ्या है, ये जिंदगी क्षण भंगुर है।
कल तक जो साथ थे, आज बस एक याद है।

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13 AUG 2021 AT 20:31

यहां लोग जलन बेहिसाब कर रहे हैं,
और हम जलवे बेहिसाब।

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4 AUG 2021 AT 20:58


प्रेम से जब ये दिल भर जाए,
सौ गम और हज़ार ज़ख़्म हो चाहे,
दुनिया के हर दर्द ये दिल भूल जाये।


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6 JUN 2021 AT 20:32

जब तलब थी जिस चीज की वो मिली नही,
जब मिली तो वो मिठास नहीं ।

वक्त वक्त की बात है,
कल तक जो खास थे ,
जरूरी तो नहीं कि आज भी हो।

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17 MAY 2021 AT 21:04

जरूरी तो नहीं जो साथ बैठकर
तस्वीरों में मुस्कुराए,
वो असल जिंदगी में साथ में
मुस्कराते ही हो।

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