कुछ रिश्ते खून के नहीं होते हैं,
सिर्फ एहसासों से दो दिल जुड़े होते है।।
उनका हर दर्द महसूस होता है,
ईश्वर ही जाने ये कैसा नाता है।।
उनके दीदार को मैं तरसती रही,
अक्सर विरह में आंखे भी बरसती रही।।
दिलों के भी कुछ उसूल है,
अब इसे कहां कोई और कबूल हैं।।
मेरे हर धड़कन में हैं तेरा फ़िक्र,
मेरे हर अल्फ़ाज़ में हैं सिर्फ तेरा ही ज़िक्र।।
तुम्हारे हक में रोज दुआ पढ़ती हूं,
आज रब से एक अर्जी करती हूं।।
खुशियां मिले तुम्हें तमाम, जमाने भर की।
कभी ना हो हार तुम्हारे किरदार की।।-
थम सी गई है जिंदगी यादों के खुबसूरत पन्नों में,
खुद को बेहद खुश पाती हूं मैं जिनमें।
कितना कुछ दफ़न हो गया यादों के कब्र में,
मानों एक अरसा गुजर जाएगा सिर्फ तुम्हे देखने के सब्र में।
कैसे समझाऊं तेरी बाहों में मिलती हैं कितनी राहत,
शायद शब्दों में बयां ना कर पाऊंगी कभी भी अपनी चाहत।
एक पल में जिसे मैं सौ दफा निहारती हूं,
कैसे कहूं ज़िन्दगी उनके बिना मैं कैसे गुजारती हूं।
मेरी हर सांसे तुझसे इतनी क्यों वफ़ा करता है,
की एक समंदर रोज़ आंखों से बहा करता है।
तेरे हसने–रोने का भी असर पड़ता है सेहत पर,
बस नहीं रहा मेरा, मेरी ही चाहत पर।
उसके होने का कुछ ऐसा एहसास है,
जैसे महक उनकी मेरे आस पास है।
हाथ छूट भी जाएं, रिश्ते कभी छूटते नहीं,
ज़िन्दगी के शाखा से कुछ यादें कभी टूटते नहीं।-
मां की आंचल में समाया है खुशियों भरा खजाना,
और घर की दीवारों में मौजूद है पिता का खून पसीना।
मां ने प्यार करना सिखाया ,
मां ने रिश्ता निभाना सिखाया।
पिता ने सिखाया अनुशासन,
हालात चाहें कैसा भी हो दिए ये आश्वासन।
मंजिल करीब हैं तुम नहीं रुकना ,
मुश्किलों के आगे कभी नहीं झुकना ।
मां हैं प्यार की परिभाषा,
पूरी करती है बच्चों की सारी अभिलाषा।
पिता हिम्मत और विश्वास हैं,
पिता पहली उम्मीद और आख़िरी आस है।-
मिले आपको जन्मदिन का सबसे बड़ा उपहार,
आपके जिंदगी में बने रहें हमेशा अपनों का प्यार।
संग मां की दुआएँ हो,और हो पिता का साथ,
खास हो हर दिन और सर पर रहे हमेशा रब का हाथ।
कभी ना आए गम की परछाई,
छू भी ना पाए आपको तनहाई।
हर खुशियां दामन चूमे तुम्हारी,
तुम्हारे हिस्से का गम भी हो जायें हमारी।।
तुम्हें हर संभव मुकाम मिले,
तुम्हारे हर सपनों को एक नई उड़ान मिले।
उम्र हो लंबी सूरज जैसी,और चमक हो सितारों जैसी।
तीव्रता हो तूफानों सी, और ऊंचाई हो आसमानों सी।
दुख दर्द को पता ना चले तुम्हारा ठिकाना,
सिर्फ़ सुख समृद्धि का हो आशियाना।
हर रोज़ मांगा हैं मैंने ये मन्नत,
तुम्हारे क़िस्मत में लिख दे रब खुशियों भरा जन्नत।।-
शायद मेरी मोहब्बत में ही कमी थी,
इसलिए तुझे किसी और की जरूरत पड़ी थीं।
जब जब भरोसा कर बैठती हूं तुझपे रब से भी ज्यादा,
क्यों तोड़ देते हों तुम मेरी हर उम्मीद, हर इरादा।
उनकी निशानियां लिए चलते हों अपने ही साथ,
रखते हों उनकी यादों को दिल के पास।
क्या सच में हमसे मोहब्बत करते हो,
या ख्यालों में अभी तक उन्हें ही रखते हों।
काश दिखा पाती तुम्हें कितनी मजबूर थी मैं,
तुम्हरे पास होकर भी कितना दूर थी मैं।
इस बार आंखे नहीं मेरा दिल भी रो रहा है।
शुरुआत से अंत तक तेरी हर यादें मेरी जहन में छा रहा है।
सब कुछ मेरे सामने था पर फिर भी दिल तुझपे एकबार यकीन करना चाहता था।
हर लम्हा जिया है साथ तुम्हारे, कैसे मान लूं तुम्हे नहीं था प्यार हमसे।
टूटे दिल को समेट रही हूं, ताकि टुकड़े कर सको तुम हज़ार फिर से।
काश जो भी मैंने पढ़ा था वो सब कुछ झूठ होता,
तू सिर्फ मेरा हैं, ये वहम भी मुझे प्यारा था।
हम किस दर्द से गुजर रहे हैं शायद आज भी तुम अंदाजा नहीं कर पाए।।
मेरी खुशियां मुझसे ताल्लुकात तोड़ने लगी है,
मेरी क्या गलती थी, ये मुझे आज भी मालूम भी नहीं है।
ऐसा लगता हैं जैसे तुझसे मेरा जन्मों का नाता है,
पता नहीं था की तू किसी और के दिल में भी धड़कता है।-
मोहब्बत की हैं उनसे बेपनाह,
ईश्वर खुद हैं इसकी गवाह।
तुम्हारा इश्क लहू बनके दौड़ने लगा है जिस्म में,
सांसे रहेंगी जब तक निभाऊंगी सारे कसमें।
मेरी रूह भी झंझोर जाती हैं तुम्हारी बेरुखी,
काश देख पाते तुम हालात मेरे दिल की।
क्या मैं उनके अपनों में शामिल नहीं हूं,
हक़ जताने के काबिल नहीं हूं।
सारे दर्द अपने अंदर ही दफना दिया,
सारे सितम मुस्कुराते हुए अपना लिया।
मैं यादों के सफ़र पर हूं,
जहां बिछड़ने का कोई रिवाज़ नहीं हैं,
दिल रो रहा है पर कोई अवाज नहीं हैं।
जिन आंखो में सिर्फ तुम बसते हों,
जाना उनमें ही अश्क देखते कैसे हों,
यू तड़पता छोड़ सुकून से सोते कैसे हो,
बोलो ना इतनी कड़वाहट लाते कैसे हों।।-
इस बार कुछ लिखा नहीं,
कहने को बहुत कुछ था पर कुछ कहा नहीं।
अल्फ़ाज़ इतने गहरे थे,
की सारे शब्द जुवा पर ही ठहरे थे।
मिलन की खुशियां लिखूं ,
या विरह की वेदना लिखूं।
जब महीनों बाद तुमसे बात हुई,
मानों मेरी जिन्दगी से फ़िर मुलाक़ात हुई।
होंठों पे मुस्कान थी,
फिर भी आंखो में नमी थीं,
कैसे बयां करती मैं यारा,तेरी कितनी कमी थीं।
अंधेरी रातों में भी तेरा चेहरा जुग्नुओ सा चमक रहा है।
पलकों तले तेरी याद दबाए दिल कितना तड़प रहा हैं।।-
वह सुबह कभी ना आए,
जिसमें हम तुम्हे ना पाए।
वह सुबह कभी ना आए,
जिसमें हम तुम्हारी ख़ुशबू ना पाए।
वह सुबह कभी ना आए,
जिसमें हम तुम्हें ढूंढ़ने को तरस जाए ।
वह सुबह कभी ना आए,
जिसमें ना हो तुम्हारी साये।
और वह सुबह कभी ना आए,
जब हम तुम्हारी धड़कन ही ना सुन पाए।
जिंदगी बहुत लंबी है मेरी जान,
कोई ऐसा मोड़ ना आए की हम,
तुम्हें पीछे छोड़ जाए।
कितनी मोहब्बत है तुमसे,
वह हम कैसे बताएं।
अगर कभी जाने का वक़्त आए
तो तुमसे पहले हम ही गुज़र जाए।।-
देखो चांद निकल आया,
आज फिर की हैं मैंने तेरी सलामती की दुआ।
उम्र तुझे मेरी भी लग जाए,
जाना कोई ग़म तुझे छू भी ना पाए।
सुख दुख में जिसने मेरा साथ दिया,
बिना कसमों के ही हर रस्में जो निभा गया।
तेरी यादें जुदा होगी नहीं कभी इस दिल से,
जैसे चांदनी जुदा होती नहीं कभी अपने चांद से।।-