Supriya   (Supriya ( Ritu ) ✍️✍️✍️)
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Joined 5 June 2019


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7 JUN 2023 AT 15:30

" तीन चीजों पर काबू रखो
गुस्सा , दौलत , अभिमान
तीन चीजों से नफरत करो

@ Through_ my_eyes

जुल्म , झूठ , बेवफाई
तीन चीजों को अपनाओ
ईमान , सच्चाई और दया ।"

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18 APR 2023 AT 14:51

" तुझे मैं क्या दूँ
टूट गया है मेरा दिल

@ Akhir _ kyu

अब कभी खुश न हो सकेंगे
खत्म हो गये हम फिर । "

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28 MAR 2023 AT 14:20

" समय की आंधी ने
किया हमें बरबाद

@ Akhir _ Kyu

खुद से ही प्यार न रहा
तो क्यूँ मांगे सहारा । "

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21 MAR 2023 AT 15:48

" भूल जाते है जब अपने
तो कैसे गिले और कैसे शिकवे

@ Akhir _ kyu

बेगानों को क्या गले लगाये
वो भी करते है किनारे ।"

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26 JUL 2022 AT 21:32

बदली दुनिया , बदले लोग
मौसम बदले , बदली ऋतुएं
सरदी , गरमी , बारिश बदली ।।
बदला व्यवहार
बदली भाषा शैली ।।
रूप बदला
बदला खान - पान

@ Through_ my_eyes

बदला है परिधान ।।
बदला चरित्र
बदले सारे कानून विधान ।।
हे परमेश्वर कृपा ऐसी ,
बरसाए रखना
ताउम्र आशीष बनाए रखना
चाहे बदले सारा जहां ।।


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4 JUN 2022 AT 20:00


एक खुली किताब हूँ मैं

जिंदगी की एक खुली किताब हूँ मैं
जख्मों से भरी एक सौगात हूँ मैं ।।
पढ़ना चाहे कोई मुझे , पढ़ नहीं पाये
आँखों मे भरा आँसुओं का सैलाब हूँ मै ।।
कभी देखो मेरे जीवन को

@ Akhir _ Kyu

जख्म से भरी , बस एक आघात हूँ मैं ।।
कभी सुनो मेरे भी जज्बात
ऐसे टूट कर बिखरी हूँ मैं ।।
चाहती हूँ मैं भी कुछ अच्छे पल जिंदगी से
अच्छे लम्हों के लिए तरसती इंतजार हूँ मैं ।।

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26 JAN 2022 AT 20:07

" याद करते है आपको तन्हाई में
दिल डूबा है गमों की गहराई मे ,

@ Akhir _ Kyu

हमें ना ढूँढना दुनिया की भीड़ मे
हम मिलेंगे आपको आपकी परछाई में । "

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26 MAY 2021 AT 19:44

" सुबह पत्तों पर गिरी ओस की तरह

@ Akhir _ kyu

मेरी पलकों पर भी नमी रह गई । "

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3 MAY 2021 AT 19:36

बेशक थी ...
सपने
देखने की ख्वाहिश ...
खुद पर गौर किया
मैंने जब , तो पाया , ,
बदल चुकी थी मेरी मुस्कराहट
पहले से नहीं थी अब चाहत ...
जब अहसास हुआ , , , ,
वक्त के साथ
वक्त बदल जाता है , , , , ,
और सिर्फ काश रह जाता है , , , , ,

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2 MAY 2021 AT 20:45

नारी शक्ती

खाना , चुल्हा , चौका बर्तन
आराधना , पूजन
धर्म , अर्थ का सृजन ,
ईश्वर की पूजा का
यह दौर है नारी शक्ति का ।
हर भूमिका में जंचती है
हरदम समर्पित रहती है
प्रतीक है यह संसार की
कोई न दिखाये इसे झूठे सपने
अधिकार मिले इनको भी ,
विचारों की अभिव्यक्ति का ,
घर , दफ्तर ,
राजनीति , अर्थतंत्र ,
शिक्षा में करती महान काम
अब नारी को भी
हर जगह मिले दावा नियुक्ति का
ये दौर है परिवर्तन का
अब डर नहीं विपत्ति का ।


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