टूट कर प्यार करने की सजा हैं ये
आंख में आंसू , चेहरे पर मुस्कान रखने की अदा हैं ये
वो लौट कर आते हैं ऐसे समा हो मोहब्बत का ....
जाने से पहले जिस्म का हर तार नोच जाते हैं ये ...
टूट कर प्यार करने की सजा हैं ये ...
गुस्से में हैवान बसे और प्यार में भगवान....
चोट ये गहरी दे जाते हैं ....
कभी मन पर मरहम लगाया तो कभी तन के घावों को सिला...
बस सिला सिला एक साल से शुरू होकर हर दिन पर आ गिरा....
कभी गैरो से छिपाया तो कभी खुदसे....
बहानों के गर्त खुदको ही फंसाया....
टूट कर प्यार करने की सजा हैं ये...
पापा की परियां .... मां की राजकुमारी
भाई की लाड़ली....
नाजों से पाला था मायके ने जिसको ...
सिर ताज बनाकर सजाया था जिसको ....
पैरों की उतरन बन बैठी हैं फिर भी सज धज के अपनों के लिए खड़ी हैं ....
गमों के घुट पिए जिंदा लाश बनी पड़ी हैं ..
मुस्कुराकर जिंदगी के आखिरी पलों को कोस रही हैं ...
दूर खड़ी सहमी सी ... अपने दर्द भरे लम्हों पर सीवन चढ़ा रही हैं ....
टूट कर प्यार करने की सजा भुगत रही हैं ....||
शरीर पर जख्म.... और हंसी चेहरे पर लिए खड़ी हैं ....
दुनियां से पीर छिपाए जिंदा लाश बनी पड़ी हैं ...।।
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