तुम एक उम्र लाना
हम खाली किताब लाएंगे
तुम बोलते जाना
हम पन्ने भरते जायेंगे
साक्षी रहेंगे चाँद तारें
ये हवा और नज़ारे
मैं तुम में खो जाऊंगी
तुम मुझमें समा जाना
बस तुम एक उम्र लाना।।।।।
( सुनीति)
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सुना है तुम मुझे पढ़ने लगे थे
पर आधा ही क्यों????
कभी फुर्सत में कुछ पन्ने और पढ़ लेना
तब ये मत बोलना
मैंने उसे छोड़ा ही क्यों???-
हाय रब्बा
मुझे गम नहीं उनके भूल जाने का
बस इतना रहम करना
कंही ये आदत न बन जाये उनकी-
तुम किसी के लिए खंजर तो
किसी के लिए जहर हो
मगर ये दुनिया को कैसे यक़ीन दिलाऊं
तुम मेरे लिए हर दर्द के मरहम जैसे हो
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देखो आज बरसात आई है,,नभ में काले बादल मँडरा रहे हैं
हर जगह हर कण में हरियाली छाई है
रिमझिम की वो धुन, कल कल की वो नाद
आज फिर से गुंजित हो रहे हैं,,आओ सखी देखो,,आज फिर बरसात आई है
नवबधू बनते फिरते बीरबहूटी,,कंही खो गये हैं
वो तृषार्त्त चातक कंही दूर चले गये हैं
अब चरों तरफ हरियाली नहीं,,,रंग बिरंगे आवास छाए हैं
अब तटिनी बीरबहूटी जैसी प्रतीत होती है
बारिश के इंतज़ार में वो किसान चातक बने फिरते हैं
बड़े दिनों बाद आज सूखी धरती
पावस की स्पर्श में चैन की साँस ली है,,,आओ सखी देखो
आज फिर बरसात आई है-
इश्क़ के बाज़ार में
हम भी कभी मशहूर हुआ करते थे
हवा की झोंक कुछ इस कदर बदला
उसी ही बाज़ार में
लोग हमें बेवफा कहने लगे-
मैंने सुना है लोग
रीति-रिवाज, संस्कार, दुनियादारी की बात करते हैं
मगर हम तो "मैं" की खोज में "हम" को ही भूल गए-
कौन कहता है हर सफर में हमसफ़र चाहिए
कभी अकेले
किसी के ख़्वाबों में खो जाने का मज़ा ही कुछ ख़ास होता है-
हम चाय गरमा-गरम पीना चाहते हैं,
पर कम्बख्त ये ख्याल हमें पिने नहीं देते-