Sunitha Dhillod   (Sunitha)
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Joined 14 April 2020


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Joined 14 April 2020
1 DEC 2023 AT 10:09

लगता है खुशियों का मुझसे छत्तिस का आंकड़ा है। इस लिए मिलना तो दूर आस पास भी नज़र नही आती। 🤔

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30 NOV 2023 AT 19:04

जिंगादी के आईने में हर रोज़ अक्स बदल जाते है।
कभी सुनेहरे सपने तो कभी बिखरे ख्वाब नज़र आते है।
कभी खुशनुमा चेहरे तो कभी गमज़दा आँखें इसमे मैं देखता हूँ। झूठा दिलासा दिल को देकर बहला तो लेता हूँ, पर ज़िंदगी तुझमे मैं अपना सच्च देखता हूँ।

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4 JUL 2023 AT 23:11

फिर मौसम ने करवट बदली, फिर बारिश ने हमको रुला दिया।

फिर दिल मे नई खुशियाँ जगी, फिर गमों ने उनको सुला दिया।

ज़िंदगी की कोई ख्वाहिश नही है बाकी , वो तो बस सांसें चल रही है। जीना तो हमने कब का भुला दिया।

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23 JAN 2022 AT 0:16

मुश्किलों ने ज़िंदगी जीने का सलीखा सीखा दिया।
वक़्त ने लोगों का असली चेहरा दिखा दिया।

हाँ में खामोश हूँ क्युंकि सिर्फ गरजना मेरी आदत नही। वक़्त के साथ बदलना ऐसी मेरी फ़ितरत नही।

आज में मजबूर हूँ, परेशान हूँ पर में नही बिखरूंगी।
ज़िंदगी तू मुझको जितना भी तोड़ने की कोशिश कर ले में उतना ही निखरूंगी।

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10 MAY 2020 AT 16:14

जब कभी परेशानियों से घबरा कर माँ की गोद में सर रखती हूँ, माँ कहती है चिन्ता मत कर मै कुछ करती हूँ। मानो जैसे माँ के पास कोई जादू की छड़ी होती है जब भी याद करो माँ सामने ही खड़ी होती है।

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18 MAY 2021 AT 1:13

पता नही क्यों मुझको सब बदला बदला सा लगता है, जो कभी अपना था वही बैगाना सा लगता है। एक चुभन सी है दिल में, एक अंजाना सा डर लगता है। समझा था जिसको जीवन भर का साथ बस बाकी चार पल का लगता है। जो संजो के रखा था ख्वाब कब से, बिखरता सा आज लगता है। किस से माँगू जवाब इस का, जो दिल में सवाल हर बार उठता है।

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17 MAY 2021 AT 9:56

Sunitha के दोहे

शादी के पेड़ पर दो पँछी घर बसाये, एक का नाम भरोसा दुसरा प्रेम कह लाए। जब भरोसा उड़ने लगे तो प्रेम भी पीछे-पीछे उड़ जाए।

जीवन के हर मोड पर जीवन साथी साथ निभाए।
दुख सारे वो साथ झेले और सुख में credit कोई और ले जाए।

थाली हमेशा दो हाथ से बजे एक से बज ना पाए। कैसे वो गृहस्ती चले जहाँ एक बिचारा अकेला रहे दुजा phone से मन बहा लाए।

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4 MAY 2021 AT 14:14

अजीब कश्मकश सी है दिल में मेरे आज कल, खुद पर यकीन नही, ना किसी पर विश्वास है। ना जाने क्या चाहती है ज़िंदगी मुझसे, ना जाने क्यों हम खूद से ही उदास है। ढूंड रही हूँ अपना ही वजूद, अपनी ही पहचान मांगती हूँ। सब कुछ तो है मेरे पास, फिर भी ये खालीपन कैसा मे नही जानती हूँ।

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1 MAY 2021 AT 23:52

your existence doesn't matter to the person, who means alot to you.

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1 MAY 2021 AT 23:44

आज कल तो ये हाल है कि एक ही घर में रहते है पर एक दुसरे से बात करने की फुरसत किसी को नही। साथ तो बैठे है पर नज़र भी मिलती नही। वाह रे टेक्नोलॉजी क्या चीज़ तुने इन्सान को दी है, स्मार्ट फोन ने सबके जीवन में अपनो की जगह ली है।

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