कितनी अजीब बात है ना,
एक ही शहर रहते हुए भी हमारा
समय कितना अलग हैं....-
@be.stentorian
सफर छोटा हो या लंबा
खूबसूरत होना चाहिए हैं
हाथों में मेरे तेरा हाथ होना चाहिए हैं
मंजिल तो कोई तय नहीं
पर हाँ हमसफर अब तु ही होना चाहिए हैं-
तुझसे ज्यादा तेरी खुश्बू साथ देने लगी है
तु आता है समय निकल कर हर रोज
पर तेरी महक मेरे साथ ही रहने लगी है
-
कुछ वक़्त खुद संग ऐसे गुजार
गर हो महसूस अकेलापन तो उसको स्वीकार,
तन्हा तु ही नहीं सफ़र में
तुझ संग और कितने हैं इस डगर में,
जरूरी नहीं साथ सबका मिले
पर जब बात खास की हो तो
उसके लिए तु हर दीवार तोड़ डाल|-
उड़ता पक्षी,
आज पिंजरे में वही हैं
उसे चलने की आज़ादी हैं
उसे उड़ने की भी आज़ादी हैं
अरे वो पंख तो पसारे खुले आसमां में,
साहब उसके तो पंख काटने की 'भी' पूरी त्यारी हैं|-
शब्दों की दुनिया में कुछ शब्द
जो सिर्फ़ नारिजाति से ही संबंधित हैं
कुछ शब्द "अप+शब्द"
ऐसे शब्दों का उचारण करने वालों को
Happy women's day-
उसने तुम्हें जीवन दिया और खुद के लिए जीना भूल गई..
"माँ हैं ना " सो भूल गई...
उसने ही बोलना तुम्हें सिखाया था... याद है ना??
और आज वो ही बात करने का सलीका भूल गई!?!
(माँ बाप अपनी सारी उमर हम पर खर्च करते हैं तो इतना हक जताना जाइज़ हैं )
"माँ हैं ना" श्याद इसलिए भूल गई...
तेरी जरूरतों का ध्यान इस कदर लगाया उसने, के वो खुदकी ही जरूरते भूल गई....
अरे भाई "माँ हैं ना" इसलिए सिर्फ तुझ तक ही सिमट कर गई...
अगर होती पहचान तुझसे अलग कोई उसकी
वो भी तुझे सबक सिखा के ही दम लेती पर
"माँ हैं ना"
इसलिए तेरी जली कटी आज फिर से भूल गई...
-
जिसके होने से मिले सुकून
क्या उसका ना होना कभी अखरता हैं????
किसी और के आ जाने से तुम्हारे जीवन में
क्या भला उसका अस्तितव बिखरता हैं????
अरे बोलो जनाब, इतने चेहरे लुभाते है सफर में
पर नज़रों में क्यु वही एक चेहरा बसता हैं????-
कोई अजीज़ ना हो करीब,
तो सुकून रहता हैं।
वो क्या है ना की हक जताने में,
अब डर सा लगता हैं।-
रंज ना हो कोई जीवन में मेरे,
ऐसी साज़िश में हूं।
हां शब्द जरूर है उल्टे मेरे,
पर अब मैं प्रगति की दिशा में हूं।-