कल पुराने पन्नों से फिर मुलाकात हुई
कुछ पुरानी बातों से रूबरू हुए
हर पन्ना एक कहानी बनकर
अभी सांसें ले रहा था
गुज़रे लम्हों की गूंज में
कुछ कह रहा था
कुछ पंक्तियां अधूरी सी थी
शब्दों की तलाश में भटक रही थीं
कुछ जज़्बातों से घिरे यादों के पन्ने
किसी खत की खुशबू से निकले अल्फ़ाज़
मन के किसी समंदर में यादों की भिनी सी महक
पुराने पन्नू में ही संजो कर
रह जाती हैं अतीत की यादें-
Nature lover
ज़िंदगी तू बड़ी दग़ाबाज़ निकली
जाना था किस सफ़र पर पहुंचा दिया
किस जहां में
मेरे अपनों का तो ख़्याल रखा होता
उम्मीद का दामन थामे जो मेरी राह तक रहे थे
जिन्होंने खुशी से मुझे विदा किया था
अब मेरे कफ़न पर ही रो रहे हैं
कितना विनाशकारी खेल तूने रचा
शायद तेरा अपना इसमें कोई ना होगा
इसलिए तुझे सोचने में भी वक्त ना लगा
ज़िंदगी तू बड़ी दग़ाबाज़ निकली।-
कुछ पद चिन्हों में
इतनी ऊर्जा होती है कि
लोग उसे जन्म-जन्मांतर तक पूजते हैं-
कबीर खड़ा बाज़ार में देखे दुनिया के खेल
लोगों के दिमाग यहां कंप्यूटर से भी तेज
कब किसको कैसी टोपी पहननी, आते सबको खेल
माया के जंजाल में रोपे मन के जाल
खुद ही उसने फंस कर
चीखें बारंबार-
एहसास शब्दों में जान डाल
जज़्बात उसने भाव
प्यार उसे संवार कर
दिलों की गहराई में
उतर कर खूबसूरत से पल
का एहसास कराता है-
कुछ रुत मतवाली है
कुछ मैं मतवाला हूॅं
एक अंगड़ाई भरी सुबह में,मैं तन्हा
तेरी एक शाम चुरा लू
तुझे बुरा ना लगे
एक उम्मीद भरे दामन में
तेरी महक चुरा लू।-
सदियों गुजारने थोड़ी आए हैं यहाॅं
ज़िंदगी
जो तू मुझे सिखाये जा रही है।-