"कांच के ख़्वाब"
कांच के ख़्वाब बड़े नाज़ुक होते हैं,
ज़रा-सी ठोकर पे टूट भी जाते हैं।
रंगों की चमक उनमें बसती है,
पर सच की धूप से फीके पड़ जाते हैं।
हर अक्स उनमें साफ़ नज़र आता है,
पर भीतर की धुंध छुपा ले जाते हैं।
कभी उम्मीदों के दर्पण बनते हैं,
कभी हक़ीक़त के बोझ से चटक जाते हैं।
कुछ ख़्वाब टूट कर ज़ख्म दे जाते हैं
कुछ टूट करना नया रास्ता बना जाते हैं।
कांच के ख़्वाब अगर सँभाल कर रखो,
तो रोशनी में सितारों-से जगमगाते हैं। ✨-
Nature lover
रुकावटें भी राह दिखाती हैं,
धैर्य से हर मुश्किल सुलझ जाती हैं।
बड़े कानों से सीखा सुनना सबका,
ज्ञान की गहराई में है जीवन रत्न छुपा।
छोटी आँखें सिखातीं ध्यान लगाना,
मन को एकाग्र कर सत्य को अपनाना।
सूंड से सीखा लचीला होना,
हर परिस्थिति में सहज और कोमल होना।
मोदक से मिला सरलता का स्वाद,
पवित्र हृदय रखे सदा विश्वास।
गणपति बाप्पा ने हमको जताया,
हर अंत में एक नई शुरुआत है ।-
लकीरों के उसे पार
लकीरों के उस पार भी,
कहानी अधूरी नहीं होती,
जहाँ सपने मेहनत से जुड़ते हैं,
वहाँ तक़दीर मजबूर नहीं होती
हथेली की रेखाएँ कहें चाहे जो,
मन की उड़ान को कौन रोक पाए,
लकीरों के उस पार ही तो
नयी सुबह का सूरज उग आए।-
जीवन संगिनी होना सिर्फ
संग चलने का नाम नहीं है
बल्कि विचारों की डोर से
रूह तक जु़ड़ जाने का नाम है-
"अस्तित्व की रूपरेखा"
रेत पर खींची कोई रेखा नहीं,
ये तो समय की गहराई में लिखी कहानी है।
हर साँस में एक नया आकार बनता है,
हर अनुभव में रंग भरता है।
अस्तित्व, बस देह नहीं,
वो विचार, वो सपने, वो जज़्बात भी है।
जैसे समंदर अपनी लहरों में सागर को छुपा ले,
वैसे ही आत्मा अपने सत्य को थामे रहे।
रूपरेखा बदल सकती है, मिट नहीं सकती,
क्योंकि अस्तित्व अमिट है, अनंत है।-
"रिश्तों की अहमियत"
दूरी तो बस रास्तों का बहाना है,
दिल का रिश्ता तो सदा पुराना है।
नज़रों से बिछड़ कर भी नज़दीक रहते हैं,
यादों के सहारे हर पल मिलते रहते हैं
रिश्ते तो अहसास के धागों से बंधते हैं,
ना वक़्त, ना दूरी इन्हें तोड़ सकते हैं।
जो दिल में बसते हैं, वो पास ही होते हैं,
दूरी से ये दूर होते नहीं हैं।-
नाज़ुक सी ये डोरी भी,
लोहे से मज़बूत हो जाती,
जब बहना प्रेम से बांध दे,
तो हर दूरी मिट जाती है
मीठी सी मुस्कान लिए
छुपी है बचपन की शरारत,
राखी के संग लौट आती,
गुज़रे लम्हों की यादें
एक धागा, एक वादा,
हर मुश्किल में साथ निभाने का
महक उठे घर आंगन
इन रिश्तों की प्यार की खुशबू से
यूं तो यह एक धागा है
पर अनगिनत दुआओं का
इस पवित्र प्रेम के बंधन ने
बंधा है घर संसार।-
हम कहां आ गए चलते-चलते
सफ़र की धूल में चेहरे बदल गए कितने
पर हम मुस्कुरा कर बढ़ते रहे थमते थमते
कभी राहें हमसे आगे निकल जाती
कभी कदम रुक गए छांव में ढलते ढलते
तेरे कदमों की ताल में बस हम यूं ही बढ़ते रहे
ख्वाबों को उम्र भर बुनते बुनते
सपनों के महल यूं ही जज़्बातों से सजाते रहे
आंखों की पलकों पर तिनक जोड़ते जोड़ते-
हम दोनों के सफ़र में
काटों और फूलों
का संतुलन ही इस जीवन
की असली महक है-
" दोस्ती तक रिश्ता ठीक था"
तुमसे प्यार न होता तो अच्छा था,
सिर्फ़ दोस्ती का रिश्ता भी कम ना था।
हँसी में छुपी वो मासूम बातें,
बिन मतलब की सच्ची सौगातें।
फिर दिल ने वो सरहद क्यों लांघी,
जहाँ उम्मीदें भी खुद से हार गईं।
इक दायरा था जो टूट गया,
अब हर नज़र सवाल पूछ गई।
काश ये दिल दोस्ती समझता,
मोहब्बत का ताज न पहनता।
अब जो फासले हैं तो ठीक है,
कुछ एहसास अधूरे भी ठीक हैं।-