Sunita Nainam  
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Joined 15 February 2019


Joined 15 February 2019
2 AUG AT 16:06

समीर अपनी बहन से राखी बंधवाने लखनऊ जा रहा था।"सौम्या मैं 16 अगस्त तक लौट पाऊंगा।" दीदी मुझे कम से कम 2 दिन तो रोकेगी ही,फिर लौटते वक्त मैं मम्मी पापा से मिलता ही आऊंगा।"साल भर पहले ही उसका विवाह हुआ था।सौम्या कभी भी उसे बेहद प्रसन्न नहीं दिखती थी।कई बार उसने उसके हृदय की बात जाननी चाही,पर सौम्या की बड़ी बड़ी उदास आँखें कोई भेद न खोलतीं।बड़े ही प्यार से वह सौम्या का ख्याल रखता,फिर भी सौम्या की उदासी उससे छिपी न रहती।12 अगस्त को राखी थी। 14 की रात एक चांदनी रात थी।समीर पहले ही लौट आया क्योंकि मम्मी पापा अगले महीने ही आने वाले थे।वह सौम्या को सरप्राइज़ देना चाहता था।घर के गार्डन में गेट की तरफ सौम्या की पीठ थी,वह किसी युवक के गले से लिपटी थी।समीर का खून खौल उठा,तो यह बात थी,इसलिए उदास रहती थी सौम्या?"क्या हो रहा है,कौन है ये? पूछता हुआ जब उसने अहाते में प्रवेश किया तो युवक ने चौंक कर अपनी बंद आंखे खोली।उसकी कलाई पर बंधी राखी और माथे पर लगा कुमकुम का ताजा टीका अपनी हकीकत बता रहे थे। कई वर्ष पूर्व ही पिता से झगड़े के कारण वह घर छोड़ चुका था।

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2 AUG AT 15:28

हर लिया सुख चैन....
अब आकर अगस्त ही बरसाए जल्दी रैन!

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31 JUL AT 20:44

बिन कहे ही निगाहें सब कह देती हैं......
रहने दो लवों को खामोश ही....
लम्हा_ लम्हा तन्हा _तन्हा....
सफर के हमराही सब......
कुछ खिलौने,कुछ कठपुतलियों से....
कुछ किरदार निभा लें हम भी!

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25 JUL AT 23:16

एक भोली नन्ही चिड़िया कभी जान भी नहीं पाती कि आजीवन उसे कैद में क्यों रहना पड़ता है?उसकी सुंदरता,उसकी मीठी बोली ही अभिशाप बन जाती है ,और खुले गगन में उड़ने वाली चिड़िया किसी के घर, किसी पिंजरे की शोभा बन जाती है!

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24 JUL AT 23:33

आती जाती कहानियों में ही मिलते हैं ..
सारी उल्फत,जफा,मोहब्बत और वफ़ा के किस्से!
हो खुशी या ग़म.…
अपनी अपनी बात है,अपने अपने हिस्से!

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23 JUL AT 22:33

कहो तो कब कैसे की इनायत ये मुझपे?

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20 JUL AT 22:51

कई मगर...
मंजिल एक ही!

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19 JUL AT 23:48

गिले शिकवे भी किया करो..
माना कि बड़ी बेवफा है जिंदगी...
हर पल को जी लिया करो...
मुश्किल चाहे जितनी भी आएं....
कभी तो खुल कर हंसा करो!

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17 JUL AT 23:48

एक मां न होती..
तो शायद ये दुनिया दुनिया न होती!
मां है तो सब है....
मां न होती ..
तो तुलसी तले दीया जलाता कौन?
शिशु को शैशव से अंतरिक्ष तक ...
पहुंचाता कौन?
सहज सलोनी मां की ममता..
क्या जादू सा कर देती है!
किसी को ज्ञानी,
किसी को विज्ञानी
तो किसी को महान बना देती है!
युग कोई भी हो,
माएं कमाल करती रही हैं,
करती रहेंगी!

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15 JUL AT 20:12

चाय एक कड़क हो.
संग कुछ मीत हों
सबका संग हो.
कुछ बतकहिया , कुछ बातों का रस....
चाय को और भी
स्वाद से भर देता है!

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