मिल गया इश्क़
सुनसान राहों में रौशनी सी बिखर गई,
थकी हुई धड़कन अचानक सँवर गई
बिना कहे ही सब कुछ कह गया कोई,
खामोश निगाहों में असर कर गया कोई
सपनों की चौखट पे दस्तक जो दी,
दिल ने पुकारा, मिल गया इश्क़ यही
अब हर सुबह में उजाला नया है,
हर लम्हा जैसे खुदा का दिया है
फूलों में खुशबू, हवाओं में रंग है,
मन की तन्हाई अब गीतों के संग है।
पलकों पे सजे हैं उजाले कईं,
हाँ.. मिल गया इश्क़,ज़िन्दगी मुकम्मल हुई।
-
# दिल का कुसूर क्या #
दिल का कुसूर क्या, जो ये तड़पता रहा
तेरा ही नाम ले कर, ये धड़कता रहा
भाषा में उस की माना थीं खामियाँ बहुत
बातों में पर उसी की दिल अटकता रहा
आँखों में बस गया जब से चेहरा तेरा
सपनों का कारवाँ हर दम मचलता रहा
राह-ए-वफ़ा में जब तेरा साथ संग चला
साये में भी अक्स तेरा छलकता रहा
मौसम बदल गया, मौसम ने बदल दिया
लेकिन जुनून-ए-दिल यूँ ही भड़कता रहा
आँधी ग़मों की जब भी दिल को जला गई
तेरे ख़याल से ही दिल बहलता रहा-
जहाँ चाँद हो,
झील का किनारा हो,
हम-तुम हों,
और हाथों में हाथ तुम्हारा हो।
लम्हे ठहर जाएँ,
साँसें भी गुनगुनाएँ,
ख़्वाबों की राहों में
बस प्यार का इशारा हो।-
वक़्त-वक़्त की बात
कभी हँसी, कभी आहट,
कभी सन्नाटा गहरा,
कभी फूलों की खुशबू,
कभी काँटों का पहरा।
कभी राहें आसान,
कभी मुश्किल से भरी,
कभी आँखों में चमक,
कभी सपनों में नमी।
ज़िन्दगी का यही राज़,
हर पल का अलग साथ,
ना ग़म सदा ना खुशी,
ये तो है वक़्त-वक़्त की बात।
-