Sunita Jauhari   (Sunita Jauhari)
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Born on...24 August
Joined 18 March 2020


Born on...24 August
Joined 18 March 2020
13 OCT 2022 AT 6:56

गलतफहमी इंसान को क्या से क्या बना देता है
ख्वाहिशें और प्यार सब कुछ भुला देता है...
कोई कितना भी कहे, कुछ भी कहे और कहता रहे
बीच में कोई भी आए , मगर प्यार है अगर सीने में
तो साथ में जीने का अंदाज सब बता देता है...


Sunita Jauhari

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27 DEC 2021 AT 23:00

बचपन
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काश! लौट आए बचपन के वो सुनहरें सुहानें दिन
राजा बनना और नन्ही सी प्यारी रानी ढूंढ लाना
याद आ गया ।

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7 NOV 2021 AT 21:49

अनिच्छित जीवन में, जीवन जीने की इच्छा
इच्छा में जीवन हैं या, जीवन में सारी इच्छा
इच्छा, अनिच्छा के इस चक्रव्यूह में घिर-घिर
अंत में जीवन छूटा और छूट गई सारी इच्छा

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3 NOV 2021 AT 23:48

घर-घर में नव दीप जलें
हर मन में सच्चा स्नेह पलें
जात-पात का हर भेद मिटें
ऐसी आत्मिक खुशियां मिलें,

दगा देती किस्मत की रेखा
आंखें बंजर बेबस देखा
सड़कों पर पलते हैं बच्चे
ख्वाबों को करके अनदेखा,

पहले मन का बैरा मिटाओं
फिर नेह का दीप जलाओ
नवल धवल नवप्रकाश संग
सघन तम को दूर भगाओं,

प्रेमपथ को नित अपनाना
जग को तुम सुंदर बनाना
बन जाओ तुम दीपक सम
सदा प्रकाश फैलाते जाना ,

जगमग जगमग दीप जला लो
खुशियों का त्यौहार मना लो
घोर अमावस हो जीवन में
उम्मीदों का एक दिया जला लों ।।

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25 SEP 2021 AT 23:12

हमको नहीं भातें हसीनों के मेले जमीं पर
हमारे दिल का गुलाब खिला हैं तुम्हीं पर ।।

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15 AUG 2021 AT 12:38

भारत की शान बताएं ,कहे सुने कुछ बात पुरानी
याद करें उन वीरों को हम ,जिनसे मिली हमें जिंदगानी ।।

उत्तुंग हिमालय अडिग भाल,चरण पखारे सिंधु विशाल
नैसर्गिक सुंदरता रूप मनोहारी,अरुणिमा पर मन बलिहारी
गाएं कोयल गीत मस्तानी
भारत की शान बताएं,कहे सुने कुछ बात पुरानी
याद करें उन वीरों को हम,जिनसे मिली हमें जिंदगानी ।।

सोने की चिड़िया जो थी,परतंत्रता में जकड़ी थी
विष पीती थी, अकुलाती थी
जीती थी न मरती थी,थी दुख भरी बड़ी जवानी
भारत की शान बताएं,कहे सुने कुछ बात पुरानी
याद करें उन वीरों को हम,जिनसे मिली हमें जिंदगानी ।।

राम, कृष्ण की जन्मभूमि ये,मीरा तुलसी करते भक्ति गान
गूंजे ऋषियों वेदों की ऋचाएं,योग आयुर्वेद का जन्म स्थान
मंत्रों का उच्चारण करते थे जुबानी
भारत की शान बताएं,कहे सुने कुछ बात पुरानी
याद करें उन वीरों को हम,जिनसे मिली हमें जिंदगानी ।।

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17 JUL 2021 AT 23:56

दर्द में जीवन हैं सारा , या जीवन में दर्दे गम हैं
सांसों का खेल है सारा , सांसों में उलझे हम है ।।

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8 JUL 2021 AT 19:09

गीत -मात्रा भार 16/16
बैठी कविता सोच रही है ,अन्तर्मन के एक कोनें से
कब निकलूंगी कब सवरुंगी, मैं करुं गर्व कब होनें से ।
राज़ जिया के कब खोलोगें
भाव हृदय के कब बोलोगें
कलम स्याही के संग मिलकर
रोको मत शब्द संजोने से,
बैठी कविता सोच रही है ,अन्तर्मन के एक कोनें से
कब निकलूंगी कब सवरुंगी, मैं करूं गर्व कब होनें से ।
हवा चलीं तब मद्धम-मद्धम
बरसा पानी छमछम-छमछम
प्रेम बीज उर में तब पहुंचा
उठें चटक शब्द नम होने से,
बैठी कविता सोच रही है ,अन्तर्मन के एक कोनें से
कब निकलूंगी कब सवरुंगी,मैं करूं गर्व कब होनें से ।
कोयल नें भी सूर लगाया
मां का आंचल तब लहराया
खुशियां आंगन में भर आई
नव कविता के जन्म होने से,
बैठी कविता सोच रही है ,अन्तर्मन के एक कोनें से
कब निकलूंगी कब सवरुंगी,मैं करूं गर्व कब होनें से ।
तत्क्षण भावुक भावावेश में
सज-संवरकर रस छंद वेष में
बाहर निकली अहसासों में
रुकेगी अभी न रोकें से,
बैठी कविता सोच रही है ,अन्तर्मन के एक कोनें से
कब निकलूंगी कब सवरुंगी,मैं करूं गर्व कब होनें से ।
निकली निखर प्रखर वेग में
चल दी मटककर आवेश में
आशिकों की आह तब निकली
हुई गर्वित कविता होने से,
बैठी कविता सोच रही है,अन्तर्मन के एक कोनें से
कब निकलूंगी कब सवरुंगी,मैं करूं गर्व कब होनें से ।।
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© Sunita Jauhari

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22 JUN 2021 AT 12:43


तुम्हारी खुशी के लिए हम खुश थे
तू क्या जाने हमारे दिल का हाल
जिंदगी ने हमें अनगिनत दर्द दिएं
तू क्या जाने हमारे दिल का मलाल ।।

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21 JUN 2021 AT 0:24

गतांक से आगे
त्रिपदी
तेरे बिन

दावानल की विरह ज्वाला में
प्रतिक्षण झुलसी प्रेम हाला में
लूं नाम तेरा प्यार की माला में।।

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