Sunil Hudda   (©तिखोड़ी_कळम)
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Joined 21 December 2019


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16 JUN 2021 AT 18:38

सदा अपणी धुन मे मस्त रैवणो!
व्यर्थ री चिन्ता सूं हाड गळै,क्रोध करया काया बळै!

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15 JUN 2021 AT 22:45

मन-दिलड़े रौ भोळो मिनख चालबाजों रौ शिकार बण्ज्या!

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5 JUN 2021 AT 21:01

हालातों को कोसने से बेहतर होगा, हालातों से लड़ना।
तुम्हारे अंदर की आग ही तुम्हैं कामयाब बना सकती है।
जरूरी नही की तुम्हैं खुला उपजाऊ मैदान मिले,
बंजर जमीन से ही पनपना होगा,हालातों से लड़ना होगा।
Sunil hudda barmer

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3 JUN 2021 AT 21:36

हुनर रा हजारों साथी,
बिन हुनर कोई ना नाती।
जो अपणै हुनर रै दम जीवै,
वठै भले दुश्मण दांत पीवै।

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28 MAY 2021 AT 11:18

कल जो पीठ पीछे बुराइयाँ करते थे,
आज सामने बैठै शाबाशियाँ दै रहे है।
कल जो मुझे गिराने मे लगे हुए थे,
आज वो मेरा हालचाल पुछ रहे है।
कल तक मुझे बिगड़ा बोल रहे थे,
आज मुझे संस्कारवान कह रहे है।
ए जमाने मैं तुम्हें कहना चाहती हूं....
मैं कल भी वैसी थी,आज भी ऐसी ही हूं।
भविष्य मे भी मेरा यही रवैया होगा।
बस..आप रंग बदलते रहते हौ....!
✍️Santosh Choudhary

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29 APR 2021 AT 18:20

आप किणरौ दिल दुखाय हरगीज नीं जीत सको,
आखिरकार थांणी मंजिल ही थांनै ठोकर मारसी।
किंणनै घुट-घुट जीवण सारू मजबूर ना करो,
जरूरत कौनी थांका टुकड़ा माथै पळण री,,
इण बाजूओं मांय दम है..फैर किणरो गम है..
रामजी हुनर अनाफ दियौ है..
किणरै आगण घुटणा टैकण री जरूरत कोनी,
पांचू पैरवा सूं कमाय खा लैस्या...
कदै भूखा कौनी मरस्या....
प्यार आळी भासा म्है भी जाणा हां...
अठै थांणी अकड़ कौनी चालै।
मैं मजदूर हां..मजबूर हां
पण.."मगता" कौनी...!
समझ लीजो....
शरीफ भी हां अर शैतान भी।
स्वाभिमान रै खातिर बरबादी भी मंजूर है।©तिखोड़ी_कळम

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27 JAN 2020 AT 23:57

नशो अर युवा रो नाश
नशो एक मिठो जहर पण ओ जहर आज घर-घर हुग्यो,
पहला लैवता गिणवा-चूणवा अर आज हरेक तांई पुग्यो।
अफीम ,डोडा ,दारू अ सगळा नशा रूपी लोग खावै,
आजकळ तो स्मैक, एमडी,अर नयो जहर कठासूं लावै।
युवा लोग तो इण जहर न बड़े शौक सूं खावण लाग्या,
पईसा नि होवै जद जमीन,जायदाद अर ठीकर बैचण लाग्या।
जिण उमर माय करणी माँ-बापु री सेवा बिण माय फिरै रोवता,
दूध आळा प्याला छोड़ कर देख्या स्मैक ,एमडी अर दारू पिवता।
एक पीवै दूजो पीवै अर् पीवै पांचवो पसै दसवो
अब तो पुरो ग्रुप बण्यो तस्करा के बण्यो जोर रो धंधो।
बडेरा अर सज्जना थांसु सुनील री आहि अरदास,
आपणै टाबरां रो ध्यान राखो मत जावण दो नशा के पास।
✍सुनील हुड्डा बाड़मेर

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15 MAR 2021 AT 22:27

जठै थांका विचार नीं मिळै!
वठै मन सूं मन कियां मिळै.?

✍️तिखोड़ी_कळम

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11 MAR 2021 AT 0:11

मैं मान ल्यूं अब काळी अंधेरी रात है,
पण म्हानै उडीक पिळोड़ी प्रभात री..
मैं लड़स्यूं इण काळी अंधियारी रात सूं,
आस आवण आळै उजियारे प्रभात री..

इयां कोनी डरपां काळा अंधियारां थांसू,
मैं अंधियारे मे जुगनू चमकाणो जाणा हां..
जद उजियारे री पहली किरण पूगैला,
अंधियारा थारौ नामो निशान मिटैला।

मैं जाणू अंधियारा थांसू कियां लड़णो है,
मैं जाणू राह मे उजियारो कियां करणो है।
मैं मान ल्यूं अब काळी अंधेरी रात है,
पण म्हानै उडीक पिळोड़ी प्रभात री..
#तिखोड़ी_कळम

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4 FEB 2021 AT 19:02

बळती माय पूळो,
अर सज्जण सागै सूळो।
विपदा खड़ी कर देवै सा..........!
लगायोड़ी लाय,
अर गरीब री हाय।
घणो नुकसाण करै सा..............!
छोटी सोच,
अर पग माय मोच।
व्यक्ति नै आगण कोनी बढण देवै सा!
घर माय क्लैश,
अर शरीर रौ रोग-द्वैष।
व्यक्ति नै घणो दुख देवै सा..............!
बिना टाइम बाजोड़ी हवा,
अर तारिक चुकोड़ी दवा।
फसल अर शरीर रो नुकसान करै सा.!
बिना सोच्या कियोड़ो काम,
अर बेटी रा लियोड़ा दाम।
घणा दिन कोनी रैवै सा..................!
फुटोड़ी चिलम,
अर टुटोड़ी कलम। ©तिखोड़ी_कळम
कोई काम कोनी आवै सा...............!

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