अवेळ्या क्षणांना कुठे रीतभात
फुले आसवांची तिच्या ओंजळीत
गराडा मनाचा उले आठवांत
तिचे लख्ख भाळ तिच्या ओंजळीत
मोहोर ये क्षणाचा नकोशा दिठीत
मुठी गच्च वळत्या तिच्या ओंजळीत
नको स्वप्न ते चांदण्यांच्या बनात
धुमसता निखारा तिच्या ओंजळीत-
I am ... read more
ख़ामोशी के पर्दे में हम हसरत छुपा लेते है
जैसे ही झोंका आता है तो खिड़की लगा लेते है
अक्सर हम शाम को दिल में अब बत्ती तक लगाते ही नहीं
यादों के गहरे काजल में आँखों को छुपा लेते है
हम रोज नये से जडते हैं मोती दिल के इस पर्दे पर
और लोग हमारे पर्दे की वाहवाही करते रहते है
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जब तक तुम हो न गए पार
यह तो है अव्यापारेषु व्यापार
अंत में निधन तो सर्वोपरि सार-
1. The first day of school is not all that important as touted to be. 😁
2. Rains, when they finally arrive are the most beautiful thing you'll ever experience (again & again!)-
सुखाचा कवडसा
अल निनो होऊ दे खोटा
पाऊस पडू दे मोठा
ये ग ये ग सरी
धरणं सगळी भरी
सर येईल धावून
उन्हाळा जाईल वाहून-
That "there's no free lunch", in fact has its corollary..
(I thought most things worth having were priceless... Turns out you can price them!!)-