सुनीता "धरा"   (सुनीता)
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Joined 5 October 2020


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3 DEC 2022 AT 18:53

कुछ रिश्ते इतने खूबसूरत होते हैं कि
गम में मुस्कुराने की वजह बन जाते हैं।

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2 DEC 2022 AT 20:13


सुंदरवन ✒

कुछ ठहरा सा ,कुछ गहरा सा,
कुछ पवित्र नजर का पहरा सा है ,
कुछ सूखे पत्ते ,कुछ सड़े पत्ते ,
कहीं धूप का पनाह सा है,
कहीं हवा की सरसराहट ,कहीं चिड़ियों की चहचहाहट
मिलती है जिंदगी को राहत,
कहीं समुद्र का शोर ,कहीं जंगल में नाचते मोर
नहीं है इसका कोई मोल।

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13 FEB 2022 AT 13:30

वो अजनबी मेरी जिंदगी में आया ऐसे
पतझड़ में बसंत लेकर आया जैसे ,
झूम झूम कर पवन ने भी गाना गाया ,
हर डाली के पत्तों के संग
कलियों ने भी मुसकाया,
बिंधे मेरे हृदय को एेसे
प्रेम के बीज बो दिए हो जैसे,
वो अजनबी मेरी जिंदगी में आया ऐसे
उम्र भर साथ रहूंगा
वादा किया हो जैसे।— % &

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13 FEB 2022 AT 12:53

कि बैठे हैं किसी के आगोश में ,
मन को तृप्त किए,
बसे हैं किसी के आंखों में कहीं
मन को तृप्त किए ,
क्यों पूछते हो कौन हो ,कैसे हो ,
हमें बताना तो है नहीं।— % &

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13 FEB 2022 AT 12:38

न जाने वो नैन बसेरा किधर चला,
हजारों सपने देकर,
आंचल में मुस्कान देकर,
ना जाने वो नैन बसेरा किधर चला।
आंखों की नीदें उड़ा कर,
नए पंख पाकर ,
न जाने वो नैन बसेरा किधर चला।— % &

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29 JAN 2022 AT 15:51

तिनका तिनका जोड़ कर आशियां हम बनाते हैं ,
नए नए सपनों को पलकों में संजोते हैं,
तूफानों से सामना करने की हौसला भी रखते हैं,
आएगी खुशियां जीवन में इसी आस पर बैठे है,
तिनका तिनका जोड़ कर आशियां हम बनाते हैं ।

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10 JAN 2022 AT 14:49

विश्व हिंदी दिवस की शुभकामनाएं💐
🌷🌷
हिंदी आन और शान है ,हमारी
हिंदी वाणी और वरदान है, हमारी
हिंदी वर्तनी और व्याकरण है ,हमारी
हिंदी संस्कृति और आचरण है ,हमारी
हिंदी वेदना और गान है ,हमारी
हिंदी आत्मा और भावना का साज है, हमारी ।

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10 JAN 2022 AT 14:36

आ गई वो लहर फिर एक बार
जिसका था डर इस बार
संभल कर रहना मेरे दोस्त मेरे यार,

ओर हिम्मत नहीं है मुझमें
मेरे अपनों को खोने का
आंखें नम है अब भी
निकल न पायी हूँ उस गम से
याद करती हुँ उन्हें अब भी ,

गम और खुशी की कोई सीमा नहीं होती
आता जाता है लहरों की तरह
साथ चलते हैं पहियों की तरह
रहता साथ हर पल
इससे क्या गिला शिकवा करुँ
बीती बातों को क्या याद करुँ ,

समय दवा है हर दर्द का ।


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19 DEC 2021 AT 10:39

✒मैं❤
मैं लिखना चाहती हूँ
अंधेरे से प्रकाश की ओर
जाने के लिए ,
मैं लिखना चाहती हूँ
अपने अस्तित्व को
पाने के लिए ।
मैं क्या हूँ कौन हूँ ..
इस जिज्ञासा में
चल पड़ी हूँ ...
रास्ते में आए रुकावटों
से लड़ पड़ी हूँ ..।

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30 OCT 2021 AT 19:03

मन
🌸🌸
कल्पना की असीमित शक्ति
को मिटाने चली है,
कलम स्थिर है ,
शब्दों को आंधी उड़ा ले गई है
खिन्न -खिन्न हुए हैं मन
है यह अस्थिर मन।

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