दिल में एक जज्बात हैं,
आज बयान कर लेने दो मुझें,
कल सुबह क्या तुमने देखा है,
घटाओं ने क्या संदेश भेजा है?
देखो तोह मैं सिर्फ कवित्रि हूँ,
निर्जीव एक फसल की नारी हूँ,
चाकू तोह नहीं, पर धार बहुत है,
मानो ना मानो, दिलदार बहुत है?
आओ पास, एक कविता सुनानी है,
दृष्टि से जिंदगी की बुनियाद बतानी है,
एक खंजर सिकंदर मुझे रास ना आया,
एक सुंदर जालंधर मुझें रोक ना पाया।
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