Sunaina Boddh   (Sunaina B.More)
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Joined 4 March 2020


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Joined 4 March 2020
23 DEC 2022 AT 3:29

चाहे दिन हो या रात,
कितने जरूरी हो तुम
नहीं समझते ये बात,
तुम कह देते हो क्या रोज रोज...
जो तुम भी ना समझो तो
कौन समझेगा मेरे जज़्बात ।।
Tell me???😶🤔

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20 OCT 2022 AT 13:25

कि मुझे याद आती है,
जब याद आ जाए.....
मुझे ख़ुद से घिन आती है।।
🤫🤫

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20 OCT 2022 AT 13:17

जिसमें मैंने ज़िंदगी ठहराई थी ,
मुर्शद पता नहीं...
ये किस्मत का खेल था
या फिर उसके अंदर ही बेवफ़ाई थी ।।

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16 OCT 2022 AT 21:50

उस प्यार को हमनें
सारे जहां से छिपा रखा था,
तमाम उलझनों को जानते हुए
तूझे दिल से अपना बना रखा था,
कि मालूम था आएंगे तूफ़ान
फिर भी प्रेम~ज्योत को जला रखा था,
कि मुर्शद माना था जिसे
दिल के हर कोने से अपना,
उसने अपने दिल में
कइयों को बसा रखा था ,
आख़िर ये मान ही लिया
कि हमने गलत इंसान से
दिल लगा रखा था ।।
🤫😮‍💨🫣But now I'm happy in my Life...😉

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16 OCT 2022 AT 21:35

उन तमाम गलतियों की
जो अनजाने में हो गई,
क्योंकी उनके वजह से
कुछ जिन्दगी कलंकित हो गई ।।

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16 OCT 2022 AT 12:03

कुछ दिन मन बहलाया,
और आख़िर जा के वापिस
हमें ख़ूब रुलाया।।

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16 OCT 2022 AT 11:46

इन आंखों में
तेरे सिवा हर ख़्वाब नया ।।

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24 SEP 2022 AT 16:31

मेरा ये दर्द उसे भी तड़फाएगा ।।
😊😆

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15 SEP 2022 AT 20:36

भुला दो मुझे.....
अगर हूं मैं गलत
तो सज़ा दो मुझे,
ये इश्क़ की ज्योत
आकर बुझा दो,
हां ये सच है कि
मैं याद करती हूं तुम्हें,
अगर तुम मुझे भुला चुके
तो आकर मिटा दो मुझे।।
🫢🥲🥺

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15 SEP 2022 AT 20:14

एक अनचाही – सी आस में,
हम ख़ुद को भुलाकर बैठे थे,
उसकी पहचान देखते हुए
हम ख़ुद को मिटाकर बैठे थे,
हाय! मुर्शद जिसे माना
हमनें दिल से अपना......
वो तो कइयों को अपना बनाकर बैठे थे।।
🥺🥲🫢

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