है सामने एक शहर,
मगर ये वह शहर नहीं,
जो दिख रहा मुझे,
वो मेरी नजर में नहीं,
मैं जानता हूं जिसे,
उसका मुझे पता नहीं,
या बना हूं अनजान मैं,
आखिर मैं गुमनाम तो नहीं...-
कुछ कहानी लिखी हुई है,
कुछ लिखनी है बाकी,
चल रही है जो सांसे,
ज़िंदगी अभी है ताजी,
बदला है ये मौसम,
या बदली है ये जिंदगानी,
कुछ कहानी लिखी हुई है,
कुछ लिखनी है बाकी....-
पतंग सी है ज़िंदगी भी,
जो उड़ तो रही है,
पर कब कट जाएं
किसी को पता नहीं....-
चलती राहों में बैठे है हम मगरुर ऐसे,
कि सफर ये खत्म होगा कभी नहीं,
पर ये ज़िंदगी का सफर
होता है कुछ पल का मोहताज,
आज है हम यहां,
कल होंगे और कही,
पर न रुका न रुकेगा ये सफर,
आज हम है कल होंगे और कोई.....-
बस सफर का अंत ऐसा हो,
कि सबकी आँखें नम हो,
जुबान में दुआ हो,
दिल में लौट आने की उम्मीद हो,
और यादों में एक सुहाना सा किस्सा हो...-
मन का द्वंद मन ही जाने,
हम तो बस है बेचारे,
जैसा मन करता है
वैसे हम कर जाते है,
मन की सजा हम पाते है,
जब मन होता है बेचैन,
हम न जाने क्या क्या कर जाते है,
मन के द्वंद में फंस कर
हम खुद को ही फंसा जाते है,
आखिर में जब आती है बात समझ,
हम मन के द्वंद को दोषी ठहरा जाते है....-
अगर तू साथ है मेरे, तो दुनिया की क्या परवाह,
हो बस मोहब्बत जहां, ऐसी है हमारी छोटी सी दुनिया....-