Sumit Tyagi   (सुमित त्यागी ✍️✍️✍️)
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Joined 4 June 2018


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Joined 4 June 2018
8 DEC 2024 AT 23:12

गर होता हुनर हम में भी चालाकियों का, तो मंजर कुछ और ही होता ग़ालिब।
ये आंखों से ढलकते अश्क सब , कमबख्त शराफत का ही इनाम है ।

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8 DEC 2024 AT 23:08

बहुत अर्शे बाद आज फिर से उठी है ये कलम,
दुआ करना कि लिखते समय तेरी याद ना आए ।
तेरे दिए हर जख्म को अभी तोहफा ही समझते है,
दुआ करना ये तोहफे कही ,अंगारों में न बदल जाए।

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17 NOV 2024 AT 0:50

आधी गुजरी इंतजार में है,
आधी सब्र में गुजरेगी ।
ये उम्र ए इश्क भी ना जाने ,
क्या से क्या करके गुजरेगी।

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4 SEP 2024 AT 23:18

टूटते टूटते आखिर एक दिन, टूट ही गया वो शख्स ,
वो जो जरूरत में गैरों की भी, दौड़ा चला जाता था।
वक्त लगा थोड़ा मगर , समझ आई उसे भी दुनियादारी,
काम आ जाता है , बस जिसे इसलिए अपना कहा जाता था।

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5 OCT 2023 AT 23:35

दुनिया से क्या ही गिला करें, हम खुद ही खुद से खफा है,
चलो अब जाने ही देते है , ये वाकया कौन सा पहली दफा है।
😊

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4 OCT 2023 AT 23:37

नही चाहते करे उम्मीद शराफत की कोई हमसे,
अब तो चाहते है की लोग हमे, आवारा ही समझे।

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3 OCT 2023 AT 14:13

एक अरसे के बाद सुकून से, सोया मैं रातभर।
ये मां की गोद भी ना , सच में कमाल होती है।

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2 MAY 2023 AT 0:37

यूं तो दर्द पहले ही सह रहे थे हम , इन मिलों की दूरियों का,
मगर ये बर्ताब अजनबी वाला ,अक्सर हमें अब दर्द देता है।

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26 MAR 2023 AT 22:41

अक्सर रोक लेता हूं ,आंखों से छलकते आंसुओं को में ,
रोने वाले शख्स को ,अक्सर ये समाज कमजोर समझता है।

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13 MAR 2023 AT 0:29

यूं तो होती है शिकायतें सभी को जिंदगी से,
पर ए जिन्दगी मुझे तुझसे बस इतनी सी रही,
मैं अपनो के जख्मों का कभी मरहम न बन पाया,
पर ये कमबख्त सांसे है, जो की अभी भी चल रही।
बहुत कुछ खोकर भी पाया कहां कुछ अभी
जद्दोजहद है की सीने में अभी भी यही चल रही।
यूं तो हारा नही हूं अभी भी तेरे इम्तिहान में,
पर जीता भी कहां हूं ,बात ये ही मुझे अब तलक खल रही।

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