वह शक्ति हमें दो दयानिधे
वह शक्ति हमें दो दयानिधे, कर्त्तव्य मार्ग पर डट जावें।
पर-सेवा पर-उपकार में हम, जग(निज)-जीवन सफल बना जावें॥
वह शक्ति हमें दो दयानिधे...॥
हम दीन-दुखी निबलों-विकलों के सेवक बन संताप हरें।
जो हैं अटके, भूले-भटके, उनको तारें खुद तर जावें॥
वह शक्ति हमें दो दयानिधे...॥
छल, दंभ-द्वेष, पाखंड-झूठ, अन्याय से निशिदिन दूर रहें।
जीवन हो शुद्ध सरल अपना, शुचि प्रेम-सुधा रस बरसावें॥
वह शक्ति हमें दो दयानिधे...॥
निज आन-बान, मर्यादा का प्रभु ध्यान रहे अभिमान रहे।
जिस देश-जाति में जन्म लिया, बलिदान उसी पर हो जावें॥
वह शक्ति हमें दो दयानिधे...॥- Sumit Singh
20 OCT 2018 AT 14:39