Sumit Singh Rana   (Sumit Singh)
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Joined 26 April 2017


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Joined 26 April 2017
24 MAR 2022 AT 18:13

हम गुस्से में सीधी बात नहीं करते
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तूफ़ानों में बारिश तिरछी होती है!

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15 FEB 2022 AT 12:46

मोहब्बत कितनी पाक की होगी उस दीवाने ने,

वो अग़र रात में भी मिलता था तो उजाले में।— % &

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6 NOV 2021 AT 7:22

कोशिशें मेरी कभी हारी नहीं सुन ज़िंदगी तू ...


हालातों को अब किसी और भेष में भेजना।।।

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12 JUL 2021 AT 13:44

कभी-कभी खुद से ऐसी चाय बन जाती है,☕
जिसे पीकर अहसास होता है कि...
शाहजहां पी लेता तो हाथ ही कटवा देता...!!!
😄😍😀😂😂😂

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8 JUL 2021 AT 5:49

शाखों ने संभाला नहीं, हवाओं ने बख्शा नहीं...!!
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मैं एक टूटा हुआ पत्ता, यूँ ही आवारा हो गया...!!!!

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6 JUL 2021 AT 13:47

एक लम्हा खुद को दे देना अपने वक्त से निकाल कर,
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शायद तुम से ज्यादा तुम से नाराज़ और कोई नहीं..

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3 JUL 2021 AT 4:18

"ये मुलाकात क्यूँ नहीं होती,
आप से बात क्यूँ नहीं होती,
रूह तक जिस में भीग जाती थी,
अब वो बरसात क्यूँ नहीं होती.!"

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1 JUL 2021 AT 17:14

सफाईयाँ देना छोड़ दिया है मैंने,

सीधी सी बात…
बहुत बुरा हूँ मैं……..!

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29 JUN 2021 AT 4:56

मरने के बाद भी ठगे जाओगे साफ दामन वालों,
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कफन उन्हें भी सफेद मिलेगा जो शख्स दागदार है.!!

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28 JUN 2021 AT 22:52

लिख चुके हैं तेरे लिए एहसास बहुत सारे,
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फिर भी जितना तुझे चाहा वह कभी लिख नहीं पाये ...!!!!

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