Sumit Singh   (सुमित अर्कवंशी)
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sumit.legal1996@gmail.com
Joined 14 December 2020


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19 JUN 2022 AT 20:21

लड़खड़ाते रास्तों पर ,
दम से चलने का साहस है
हारे, उदास चेहरे पर यूंही
लाख उम्मीदों का अठ्ठाहस है

टूटे आत्मविश्वास पर भी
दम तोड़ती अकेली आस पर भी

मुस्कुराते सभी जज़्बात हैं...!
क्योंकि पिता जी साथ है...!

सुमित अर्कवंशी



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31 DEC 2021 AT 23:46

न कोई ईश्वरीय परिवर्तन,
न कोई प्राकृतिक उमंग।
ठंड की ठिठुरती रातो में,
नव वर्ष का यह कैसा ढंग।

भोर सिकुड़ती कोहरे में,
सूरज के प्रताप पर कष्ट घने।
फिर आप कहो कि किस कारन,
ठिठुरन में नवीनतम वर्ष मने।

जागो, मत बैठो मूढ़ बने,
पाश्चात्य सभ्यता के अधीन।
चैत्रमास के शुक्ल पक्ष की,
प्रतिपदा तिथि है नव नवीन।




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25 DEC 2021 AT 19:19

"अंधविश्वासों और पाखण्डों के प्रति आपकी पकड़ जितनी मजबूत होगी , मानसिक और बौद्धिक स्थिति उतनी की कमजोर होगी।"

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24 NOV 2021 AT 23:24

मेरे हर शौक ने ले ली जगह फिर ताक पर उस दिन
सुना बच्चों ने मुफ़लिस में गुजारी रात सड़को पर

कहीं छल सा नज़र आया मुझे खुद के निवालों में
कि कल जब भूखे ही सो गए कई मासूम सड़को पर

मयस्सर हैं जिन्हें हर पल माँ के साये, गर्म आँचल
कई बचपन सिसकते है ठिठुरती रात सड़को पर

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10 NOV 2021 AT 21:40

मनुष्य एक अतृप्त जीव मात्र है जो सम्पूर्ण जीवन तृप्ति प्राप्ति के असफल प्रयास में लगा रहता है

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4 OCT 2021 AT 21:29

जब तक आदर्श नज़र आएंगे अब के फिल्मी किरदारों में,
तब तक खबरें मैली होंगी दिन प्रतिदिन अखबारों में।

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1 OCT 2021 AT 19:55

सफर इश्क़ का हो, जिंदगी का, या जंग का
कदम कमजोर हो तो तबाही में वक़्त नही लगता।

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18 SEP 2021 AT 22:19

रेत में तलवे जलाए है, धूप में बदन तपाया है
घूंट घूंट को तरसा हूँ, तब ये समंदर पाया है

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13 SEP 2021 AT 22:10

शर्तों की बुनियाद पर तु प्यार करना छोड़ दे
मोहब्बत के परिंदों की परवाह करना छोड़ दे
जो बिक गया जहां में इक मुस्कान के लिए तेरी
उनकी बस्तियों में तू इश्क का व्यापार करना छोड़ दे

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4 SEP 2021 AT 22:19

घर के बड़े पर
जितनी बड़ी
जिम्मेदारियां होती है,
उस पर
इल्ज़ाम भी उतने
ही बड़े
लगते है ..!

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